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देश के बच्चो के लिए हर साल मौत का कुआं बन जाते हैं खुले बोरवेल

बोरवेल में गिरे बच्चो को बचाने के लिए चलाए जाने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन में से 70 फीसदी फेल हो जाते हैं. 

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तिरुचिरापल्ली में बोरवेल में गिरे दो साल के बच्चे सुजीत विल्सन को निकालने की कोशिश लगातार जारी है. ट्विटर पर #SaveSujith ट्रेंड हो रहा है. लेकिन बोरवेल में गिरने वाला सुजीत पहला बच्चा नहीं है. एनडीआरएफ की रिपोर्ट के मुताबिक 2009 से बोरवेल में 40 बच्चे गिर चुके हैं. हालांकि इन्हें बचाने के लिए चलाए जाने वाले 70 फीसदी रेस्क्यू ऑपरेशन फेल हो जाते हैं. आइए देखते हैं बोरवेल में बच्चो के गिरने के कुछ चर्चित मामलों में क्या हुआ.

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1. हरियाणा

2005 में हरियाणा में कुरुक्षेत्र 5 साल का बच्चा प्रिंस 60 फीट गहरे बोरवेल गिर गया था. उसे बचाने के लिए 48 घंटे का ऑपरेशन चलाया गया. पूरे देश में चैनलों ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन का प्रसारण किया था. प्रिंस को जिंदा निकाल लिया गया. अब 18 साल के हो चुके प्रिंस ने जुलाई में एक अखबार से कहा कि सरकार ने उसके साथ हुई घटना से कोई सबक नहीं सीखा है.

बोरवेल में गिरे बच्चो को बचाने के लिए चलाए जाने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन में से 70 फीसदी फेल हो जाते हैं. 

2. पंजाब

इस साल जून में पंजाब के संगरूर जिले में एक ढाई साल का बच्चा फतेहवीर सिंह 150 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था. 109 घंटों तक यह बच्चा गड्ढे में पड़ा रहा. पांच दिन तक उसे निकालने का ऑपरेशन चला. अंत में उसे निकाला गया लेकिन बचाया नहीं जा सका.

बोरवेल में गिरे बच्चो को बचाने के लिए चलाए जाने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन में से 70 फीसदी फेल हो जाते हैं. 

3. राजस्थान

इस साल मई में राजस्थान के जोधपुर में 400 फीट गहरे बोरवेल में गिरी 4 साल की सीमा 14 घंटे के ऑपरेशन के बावजूद बचाई नहीं जा सकी. सीमा खेलते-खेलते इस बोरवेल में गिर गई थी. साढ़े सात बजे सुबह उसकी बॉडी निकाली गई. उसके पिता के खेत में एक ट्यूबवेल खराब हो गया था. इसे उखाड़ कर रिपेयरिंग के लिए भेजा गया था और बोरवेल खुला छोड़ दिया गया था.

बोरवेल में गिरे बच्चो को बचाने के लिए चलाए जाने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन में से 70 फीसदी फेल हो जाते हैं. 
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4. मध्य प्रदेश

मार्च 2018 में मध्य प्रदेश के देवास में चार साल का बच्चा रोशन 150 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था. 35 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान उसे पाइप से लिक्विड और ऑक्सीजन पहुंचाया गया. आखिरकार उसे बाहर जीवित निकाल लिया गया.

बोरवेल में गिरे बच्चो को बचाने के लिए चलाए जाने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन में से 70 फीसदी फेल हो जाते हैं. 
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5. तेलंगाना

रंगारेड्डी जिले में जून 2017 में 18 महीने का एक बच्ची चिन्नारी बोरेवल में गिर गई. लेकिन दो दिन तक चले ऑपरेशन के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका. बचावकर्मियों को बोरवेल में पानी और प्रेशर पंप करना पड़ा. उसके बाद बच्ची की लाश ऊपर आ पाई.

बोरवेल में गिरे बच्चो को बचाने के लिए चलाए जाने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन में से 70 फीसदी फेल हो जाते हैं. 
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6. हरियाणा (हिसार)

हिसार में 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरे 18 महीने के नदीम को 48 घंटे के ऑपरेशन के बाद निकाला जा सका. रेस्क्यू ऑपरेशन लंबा चला. बच्चे को बोरवेल में फ्रूटी पहुंचाई गई.

बोरवेल में गिरे बच्चो को बचाने के लिए चलाए जाने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन में से 70 फीसदी फेल हो जाते हैं. 
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7. हरियाणा (मानेसर)

हरियाणा के मानसेर में ही 2012 में पांच साल की बच्ची माही उपाध्याय 70 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी. बच्ची के पैरेंट्स ने पुलिस को सूचना दी. बाद में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए आर्मी यूनिट बुलाई गई. लेकिन 85 घंटे के ऑपरेशन के बावजूद माही को बचाया नहीं जा सका.

बोरवेल में गिरे बच्चो को बचाने के लिए चलाए जाने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन में से 70 फीसदी फेल हो जाते हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने 2010 ने इस तरह के हादसे रोकने के लिए गाइडलाइंस जारी किए थे. इसके मुताबिक

  • बोरवेल की खुदाई के समय साइन बोर्ड लगाया जाए जिसमें बोरवेल के मालिक और ड्रिलिंग एजेंसी का पूरा पता लिखा हो
  • कंस्ट्रक्शन अवधि के दौरान कांटेदार बाड़ या फिर कोई और बाड़ लगाई जाए.
  • बोरवेल को स्टील प्लेट से वेल्डिंग के जरिये ढका जाए और उसके पास टाइट नट बोल्ट लगाया जाए.
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बहरहाल सारी देश की निगाहें सुजीत विल्सन को बचाने वाली टीम पर लगी है. पीएम नरेंद्र मोदी ने विल्सन के सुरक्षित निकल आने की प्रार्थना की है.

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