वो हीरा जिसके कई किस्से हैं, जिसकी चमक के पीछे पूरी दुनिया दीवानी है, बेशकीमती होने की वजह से लोग जिसकी मिसालें देते हैं, भारत की शान वो ‘कोहिनूर’ हीरा इंग्लैंड की महारानी के खजाने में कैसे पहुंच गया इसका राज खुद सरकार ने खोल दिया है.
दुनिया के इस नायाब 'कोहिनूर' हीरे को महाराजा दलीप सिंह ने अंग्रेजों को गिफ्ट नहीं किया था बल्कि उन्हें मजबूरी में इसे इंग्लैड की महारानी को 'सौंपना' पड़ा था.
RTI के जवाब में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की ओर से दिए गए जवाब में मिला है. लुधियाना के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी.
क्या कोहिनूर हीरे को अंग्रेजों को तोहफे में दिया गया था या किन्हीं अन्य कारणों से इसे अंग्रेजों के हवाले किया गया था?
कोहिनूर पर सरकार और ASI की अलग-अलग राय
कोहिनूर को लेकर एक सवाल सालों से अनसुलझा है कि क्या इस बेशकीमती हीरे को अंग्रेजों ने जबरन हासिल किया था या फिर उन्हें तोहफे में मिला था. इस सवाल को लेकर भारत सरकार और पुरातत्व विभाग के जवाब भी अलग-अलग ही हैं.
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने कहा था कि ब्रिटेन ने कोहिनूर को जबरन नहीं छीना और न चुराया. सरकार ने कोर्ट में कहा था- महाराजा रणजीत सिंह के वंशज ने कोहिनूर हीरा ईस्ट इंडिया कंपनी को तोहफे में दिया था.
लेकिन इसके ठीक उलट लुधियाना के RTI एक्टिविस्ट रोहित सभरवाल की RTI के जवाब में पुरातत्व विभाग (ASI) ने कहा है कि 1849 में महाराजा दलीप सिंह और लॉर्ड डलहौजी के बीच हुई लाहौर संधि के दौरान कोहिनूर सरेंडर किया गया था.
लुधियाना के रोहित सभरवाल हाल ही में लंदन गए थे. यहां वह कोहिनूर देखने टॉवर ऑफ लंदन पहुंच गए. म्यूजियम इंचार्ज से कोहिनूर के बारे में जब उन्होंने सवाल किया तो बताया गया कि ये हीरा महारानी को गिफ्ट किया गया था.
RTI पर ASI का जवाब
लुधियाना लौटकर रोहित सभरवाल ने RTI से कोहिनूर के बारे में जानकारी मांगी. उन्हें नहीं मालूम था कि किस विभाग से यह जानकारी ली जाए, ऐसे में उन्होंने RTI पीएमओ को भेज दी. इसके बाद पीएमओ ने यह RTI पुरातत्व विभाग को भेज दी. एक महीने बाद आए RTI के जवाब में बताया गया
महाराजा रणजीत सिंह के वंशज महाराज दलीप सिंह ने 1849 में कोहिनूर ब्रिटेन को ‘सरेंडर’ किया था. जवाब में यह भी बताया गया कि महाराजा रणजीत सिंह को कोहिनूर हीरा शाह शुजा उल मुल्क से मिला था.
महाराजा रणजीत सिंह के बेटे दलीप सिंह ने इसे इंग्लैंड की रानी को लाहौर संधि के दौरान सरेंडर कर दिया. इस संधि के समय दलीप सिंह की उम्र महज 9 साल थी. RTI के जवाब में बताया गया कि ब्रिटिश महारानी को कोहिनूर गिफ्ट के तौर पर नहीं दिया गया.
ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के पास कैसे पहुंचा कोहिनूर?
- कोहिनूर की उत्पत्ति को लेकर कहा जाता है कि इसे 13वीं सदी में आंध्र प्रदेश में काकतीय वंश के दौर में गुंटुर जिले से खोजा गया था.
- 14वीं सदी की शुरुआत में दिल्ली सल्तनत के शहंशाह अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत पर धावा बोला. उसके जनरल मलिक काफूर को वहां की लूट में यह मिला. तब इसे कोहिनूर नहीं कहा जाता था.
- दिल्ली सल्तनत के बाद यह मुगलों के हाथों में आ गया. बाबर और हुमायूं ने अपने संस्मरणों में इसका जिक्र किया है. कहा जाता है कि शाहजहां के मयूर सिंहासन में इसे जड़ा गया था.
- नादिरशाह ने 1739 में दिल्ली पर हमला किया. उसकी सेना ने मुगल सल्तनत के खजाने को लूटा. इसके बाद से ही यह नादिरशाह के पास चला गया.
- नादिरशाह ने ही इसकी खूबसूरती देखकर इसे कोहिनूर नाम दिया.
- 1747 में नादिरशाह की हत्या के बाद कोहिनूर उसके एक जनरल अहमद शाह दुर्रानी के हाथों में पहुंचा.
- जनरल अहमद शाह दुर्रानी के वंशज शाह शुजा दुर्रानी कोहिनूर को अपने ब्रेसलेट में पहना करते थे.
- बाद में शाह शुजा दुर्रानी को अपने दुश्मनों के चलते भागना पड़ा, वह लाहौर में सिख सल्तनत के संस्थापक महाराजा रणजीत सिंह से मिला.
- अपनी आवभगत और संरक्षण के बदले में 1813 में शाह शुजा दुर्रानी ने कोहिनूर महाराजा को रणजीत सिंह को दे दिया.
- महाराजा रणजीत सिंह के बेटे दलीप सिंह ने इसे इंग्लैंड की रानी को लाहौर संधि के दौरान सरेंडर कर दिया.
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