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बदलते मौसम का असर पड़ेगा पश्चिम बंगाल और असम की राजनीति पर

पश्चिम बंगाल और असम, मानव इतिहास का सबसे बड़े पलायन झेलने के मुहाने पर हैं, और इसका राजनीति से कोई जुड़ाव नहीं है.

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भारत
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आजाद भारत के इतिहास में बांग्लादेश से होने वाला पलायन कोई नई बात नहीं है. यह धीरे-धीरे कम मात्रा में भी हुआ है और एकसाथ बड़े पैमाने पर भी. विभाजन के दौरान, जब बांग्लादेश पूर्वी-पाकिस्तान बना था, तब बड़े पैमाने पर हिंदू वहां से भारत आए थे. इसी तरह जब 1964 में बांग्लादेश में दंगे हुए, तब भी बड़े पैमाने पर हिंदुओं ने भारत की ओर रुख किया.

इस सीमा के पार से लोगों का लगातार भारत में आते रहना, चुनावी मुद्दा बन गया है. खास तौर से अब, जब असम में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

इस महीने की शुरुआत में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि उनकी पार्टी बांग्लादेश से आसाम में होने वाले पलायन को रोकेगी. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे बाकी पार्टियां संभाल नहीं पाएंगी. 1970 के बाद से बांग्लादेशी प्रवासियों और बोडो जनजाति के लोगों के बीच लगातार हिंसा की घटनाएं होती रही हैं.

पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी प्रवासियों ने गरीबी और धार्मिक उत्पीड़न से निजात पाते हुए नौकरियां भी हासिल की हैं. लेकन अब नजर आ रहा है कि यह इलाका अब मानव इतिहास के सबसे बड़े पलायन को झेलने के मुहाने पर है, और इस बार राजनीति से इसका कोई लेना-देना नहीं है.

पश्चिम बंगाल और असम, मानव इतिहास का सबसे बड़े पलायन झेलने के मुहाने पर हैं, और इसका राजनीति से कोई जुड़ाव नहीं है.
भारत-बांग्लादेश सीमापर गश्त लगाते भारतीय सिपाही. (फोटो: जयंत डे/रॉयटर्स)
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हर दिन जलवायु परिवर्तन पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश का नक्शा बदल रहा है. समुद्र का बढ़ता जलस्तर तटों को लील रहा है. द्वीप समुद्र में समते जा रहे हैं. बड़े तूफानों ते बाद सैंकड़ों मर जाते हैं और हजारों के घर छिन जाते हैं.

पश्चिम बंगाल और असम, मानव इतिहास का सबसे बड़े पलायन झेलने के मुहाने पर हैं, और इसका राजनीति से कोई जुड़ाव नहीं है.
डॉक्युमेंटरी सीरीज ‘इयर्स ऑफ लिविंग डेंजरसली’ ने बांग्लादेश में बढ़ते समुद्र के जलस्तर को ट्रैक किया है. 

कुछ इस तरह होगा बंगाल की खाड़ी में बड़े पैमाने पर पलायन:

  • अगले 30 सालों में बढ़ता समुद्र बांग्लादेश के 17 फीसदी हिस्से को निगल जाएगा, 2050 तक बांग्लादेश के तटीय इलाके में रहने वाले लगभग 1.8 करोड़ लोग बेघर हो जाएंगे. समुद्र का स्तर बढ़ने के कारण अब तक लगभग 15 लाख लोग अपने घर छोड़ कर ढाका की झुग्गियों में रहने पर मजबूर हैं. तटीय बांग्लादेश में मिट्टी के प्रदूषित हो जाने के कारण खेती लगभग 40 फीसदी तक घट सकती है. ऐसे में लोगों का आमदनी का जरिया छिन जाएगा.


पश्चिम बंगाल और असम, मानव इतिहास का सबसे बड़े पलायन झेलने के मुहाने पर हैं, और इसका राजनीति से कोई जुड़ाव नहीं है.
अगस्त 2015 में कोलकाता में भारी मानसून के कारण आई बाढ़ के दौरान एक झोंपड़ी में सोते नागरिक. करीब 75 लोग मारे गए और हजारों लोगों ने सरकारी राहत शिविरों में शरण ली. (फोटो: रूपक डे चौधरी/रॉयटर्स)
  • भारत और बांग्लादेश दुनियां में बाढ़ के खतरे के लिए दो सबसे संवेदनशील देश हैं.
  • जलवायु परिवर्तन के कारण भारत के सुंदरबन इलाके से करीब 42 लाख से ज्यादा लोगों के बेघर होने की आशंका है.
  • माना जा रहा है कि 2100 तक भारत और बांग्लादेश के सुंदरबन इलाके के सभी द्वीप समुद्र में डूब जाएंगे.
  • बंगाल की खाड़ी के पूरे इलाके में 15 करोड़ लोगों के ऊपर खतरा मंडरा रहा है.

(आकाश जोशी से इनपुट के साथ)

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