वो फरवरी की एक सर्द सुबह थी. मध्य प्रदेश के भिंड के बाहरी इलाके में 21 साल की फूलन देवी एक अस्थायी स्टेज पर चढ़ीं और तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने सरेंडर कर दिया. उन पर हत्या और किडनैपिंग के कई आरोप थे. ये 1983 का साल था.
दो दशक से भी कम समय बाद, फूलन देवी एक दबे-कुचले समुदाय की उन पहली महिलाओं में से एक बन गईं, जो भारत की संसद की सदस्य बनीं. लेकिन 2001 में उनकी जिंदगी का अंत हो गया. तब वो सांसद के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल में थीं. उन्हें ‘बदले’ के लिए एक शख्स ने गोली मार दी थी.
गंभीर आपराधिक आरोपों के बावजूद, इतनी विवादित लेकिन असाधारण महिला एक फेमिनिस्ट आइकॉन कैसे बनी? हम बता रहे हैं उनकी कहानी.
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