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कॉल सेंटर के ठग: मुंबई में बैठकर अमेरिकी लोगों को लगाया चूना

जांच में सामने आया है कि इस तरह के और भी कॉल सेंटर दिल्ली और गुजरात में चल रहे थे.

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भारत
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हाल ही में मुंबई के मीरा रोड इलाके के कॉल सेंटर स्कैम ने काफी सुर्खियां बटोरीं. इन कॉल सेंटर्स का एक पूरा संगठित गिरोह काम कर रहा था.

ठाणे के पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह का कहना है कि 4 अक्टूबर को ठाणे पुलिस के 200 कर्मियों ने तीन कॉल सेंटर पर छापेमारी की. ये कॉल सेंटर देखने में सामान्य थे और ऐसा लग रहा था कि ये अन्य कॉल सेंटर की तरह ही हैं. इन्होंने कॉल्स की रिकॉर्डिंग भी रखी हुई थी.

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इसके बाद पुलिस ने 6 और कॉल सेंटरों पर भी छापेमारी की. इन ठगों ने सिर्फ दो महीने भीतर हजारों अमेरिकी नागरिकों को कई मिलियन डॉलर का चूना लगाया.

ऐसे लगाते थे चूना

पहला चरण: परम बीर सिंह के मुताबिक, सबसे पहले ये ठग अमेरिकी नागरिकों के टैक्स रेकॉर्ड इकट्ठा करते थे. ये रेकॉर्ड इन्हें यूएस की ब्लैक मार्केट में कुछ पैसे देकर मिल जाते थे.

दूसरा चरण: इसके बाद कॉल सेंटर कर्मचारी किसी एक पीड़ित को कॉल करता था और अपने आप को इंटरनल रेवेन्यू सर्विस (IRS) का अफसर बताता था. ये कर्मचारी पीड़ित को उसके टैक्स बकाए की जानकारी देकर डराता था. कहता था कि आपको जेल हो जाएगी, भारी जुर्माना लगेगा या देश निकाला दे दिया जाएगा. ठग उनको ये भी बोलकर डराते थे कि IRS के पास इतने अधिकार हैं कि वो आपको 2 महीने के लिए कस्टडी में रख सकता है और 3 साल तक की जेल भी हो सकती है.

तीसरा चरण: जेल का डर दिखाने के बाद पीड़ित से कहा जाता था कि आपको रुपये भरने का आखिरी मौका दिया जा रहा है. इसके लिए पीड़ित को सब कुछ छोड़कर अपने नजदीकी सुपरमार्केट जाकर 'फेडरल कार्ड' खरीदने के लिए कहा जाता था, ताकि पीड़ित इलेक्ट्रॉनिक फेडरल टैक्स पेमेंट सिस्टम से पेमेंट कर सके. इस दौरान पीड़ित को कहा जाता था कि वो कॉल डिस्कनेक्ट न करे.

चौथा चरण: पीड़ित के स्टोर पहुंचने के बाद उसे कहा जाता था कि वो इस कॉन्फिडेन्शियल कॉल के बारे में किसी को न बताए और ये भी न बताए कि वो कार्ड क्यों खरीद रहा है. वॉलमार्ट, टारगेट और आईट्यून जैसे कार्ड ही खरीदने के लिए कहा जाता. लेकिन जो लोग सिर्फ इन्हीं कार्ड को लेने पर सवाल उठाते, उन्हें विश्वास दिलाया जाता कि इन कंपनियों के साथ IRS का टाइअप है.

पांचवा चरण: कॉल सेंटर कर्मचारी फिर पीड़ित से प्रीपेड कार्ड पर लिखा 16 अंकों का नंबर पूछता. उससे कहा जाता है कि वो तब तक कॉल न काटे, जब तक कि कोड प्रमाणित नहीं कर लिया जाता. इतना करने के बाद पीड़ित से कहा जाता कि वह कार्ड को संभालकर रखे. IRS का एजेंट आपसे जल्दी मिलकर कार्ड स्कैन करेगा और आपको पेमेंट की रसीद देगा.

अंतिम चरण: चूंकि इस षड्यंत्र में यूएस कॉल सेंटर के साथ भारत के कॉल सेंटर भी शामिल थे, तो बाद में ठगे गए रुपये हवाला नेटवर्क के जरिए आपस में बांट लिए जाते थे.

भारत में कहां तक पहुंची जांच

ठाणे के पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह ने बताया कि कुल मिलाकर कितने रुपये ठगे गए, ये अभी साफ नहीं है.

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस का कहना है कि यूनाइटेड स्टेट्स के 10 हजार से ज्यादा लोग ठगे गए हैं. इससे करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ है.
परम बीर सिंह, कमिश्नर, ठाणे पुलिस

सिंह ने कहा कि जांच में सामने आया है कि इस तरह के और भी कॉल सेंटर दिल्ली और गुजरात में चल रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ अमेरिका के ही नागरिक इसमें ठगे नहीं गए हैं, बल्‍कि दूसरे देशों के नागरिक भी इसके शिकार हो सकते हैं.

अमेरिका की तरफ से जांच

27 अक्टूबर को जारी यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के बयान में कहा गया कि 61 लोगों के खिलाफ विभाग ने केस दर्ज किया है. इनमें 20 को यूएस में गिरफ्तार किया गया, जबकि भारत के 32 लोगों और 5 कॉल सेंटर्स पर इस स्कैम में शामिल होने का आरोप लगाया गया है.

अभियोग पत्र में बताया गया कि एक कॉल सेंटर ने 85 साल की बुजुर्ग महिला से 12,300 डॉलर ऐंठे. उनको जेल जाने के नाम पर डराया गया. ये महिला कैलीफोर्निया के सेन डियागो की थी.

वहीं यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस द्वारा बताए गए एक और केस में कैलीफोर्निया के हेयवार्ड के एक पीड़ित से 136,000 डॉलर ठगे गए. इस पीड़ित को ठगों ने 20 दिन में कई बार कॉल किया था.

स्रोत: ब्लूमबर्गक्विंट

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