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हैदराबाद एनकाउंटर मामले में आज तेलंगाना हाईकोर्ट में सुनवाई

6 दिसंबर की सुबह-सुबह चारों आरोपी तेलंगाना पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे

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भारत
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हैदराबाद एनकाउंटर मामले में आज तेलंगाना हाईकोर्ट में सुनवाई होने वाली है. इसके पहले कोर्ट ने कहा था कि वेटर्नरी डॉक्टर की हत्या और रेप के मामले में चारों आरोपियों के शवों को 9 दिसंबर सुबह 8 बजे तक सुरक्षित रूप से रखा जाए.

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6 दिसंबर की सुबह-सुबह चारों आरोपी तेलंगाना पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे. इस मुठभेड़ के बाद पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठे थे. रविवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने भी घटनास्थल पर जांच की थी.

वेटर्नरी डॉक्टर के गैंगरेप और मर्डर के बाद भयानक रूप से जला दिया गया था. इसके बाद ही पुलिस ने चारों आरोपियों को पकड़ा था. पुलिस रिमांड में आरोपियों को क्राइम सीन पर ले जाया गया. पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने वहीं पुलिस पार्टी पर पत्थर लाठी से हमला किया और इसके बाद वहां से भागने की कोशिश की. इसके बाद आरोपियों और पुलिस की मुठभेड़ में चारों आरोपियों को मार गिराया गया.

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एनकाउंटर पर उठे सवाल के बाद सरकार ने बनाई SIT

पुलिस ने जो एनकाउंटर का ब्योरा दिया उस पर सवाल उठने लगे. कई लोगों ने इस पूरे वाकये की जांच की मांग की. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इस एनकाउंटर की जांच के लिए कमेटी का गठन कर दिया था. एसआईटी का काम है कि वो एनकाउंट से जुड़े सभी सबूतों और तथ्यों को इकट्ठा करेगी. इसके साथ ही घटना में शामिल सभी पुलिसकर्मियों के भी बयान दर्ज करेगी.

पुलिस ने बताई थी एनकाउंटर की पूरी कहानी

कोर्ट से रिमांड मिलने के बाद पुलिस ने केस में 4 और 5 दिसंबर को आरोपियों से पूछताछ की. 6 दिसंबर की सुबह 5.40 से 6.15 के बीच पुलिस टीम आरोपियों को घटनास्थल पर ले गई थी. आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस टीम सर्वाइवर दिशा का फोन तलाश रहे थे, इसी दौरान आरोपियों ने पुलिस टीम पर पत्थरों से हमला कर दिया.

अचानक से दो आरोपियों ने पुलिसकर्मियों के हथियार छीन लिए और भागने लगे. पुलिस ने उनका पीछा किया, लेकिन उन्होंने फायर करना शुरू कर दिया. पुलिस ने उन्हें सरेंडर करने की चेतावनी दी थी. बाद में जवाबी कार्रवाई में चारों आरोपी मारे गए.

एनकाउंटर पर उठे कई सवाल

हैदराबाद एनकाउंटर पर कई लोगों ने सवाल खड़े किए. खुद बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने इस एनकाउंटर को गलत बताया. उन्होंने कहा-

“उन्हें इस जघन्य अपराध के लिए फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी. लेकिन आप बंदूक उठाकर किसी को इसलिए नहीं मार सकते हैं क्योंकि आप चाहते हैं. उन्हें कानून के तहत ही सजा मिलनी चाहिए. क्योंकि कानून का प्रोसेस काफी धीमा है तो आप किसी को मार नहीं सकते हैं. जो भी हुआ है वो काफी खतरनाक है.”
मेनका गांधी, बीजेपी सांसद

वहीं क्रिकेट कंमेंट्रेटर आकाश चोपड़ा ने भी पुलिस के इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए. चोपड़ा ने कहा- “उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है कि किसी आदमी को नहीं मारा जाए. वो पुलिस कस्टडी में बिना हथियार के थे. क्या ऐसा कभी आसाराम या फिर राम रहीम के साथ हुआ है? वो भी रेप के आरोपी हैं. और हां मैं ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को कड़ी सजा चाहता हूं, लेकिन कानून के तहत.”

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