हैदराबाद में वेटेरनरी डॉक्टर से गैंगरेप और हत्या के आरोपियों के एनकाउंटर को लेकर अलग-अलग राय सामने आ रही हैं. एक तरफ लोग इस मामले में हैदराबाद पुलिस की तारीफ कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों ने इस एनकाउंटर पर सवाल भी उठाए हैं.
रिटायर्ड पुलिस अफसरों, कानून के जानकारों से लेकर संसद के सदस्यों तक ने पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं.
मैं एनकाउंटर के खिलाफ हूंः ओवैसी
हैदराबाद से AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार हर मुठभेड़ की जांच की जानी चाहिए. उन्होंने कहा-
मैं एनकाउंटर के खिलाफ हूं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को इस एनकाउंटर की घटना पर संज्ञान लेना चाहिए.
गैर-न्यायिक हत्याओं को सही नहीं ठहराया जा सकताः थरूर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा है कि न्यायिक व्यवस्था से अलग इस तरह के एनकाउंटर स्वीकार नहीं किए जा सकते हैं. उन्होंने लिखा है-
‘हमें और जानने की जरूरत है. अगर क्रिमिनल्स के पास हथियार थे तो पुलिस अपनी कार्रवाई को सही ठहरा सकती है. जब तक पूरी सच्चाई सामने न आए तब तक हमें निंदा नहीं करनी चाहिए. लेकिन कानून से चलने वाले समाज में इस तरह गैर-न्यायिक हत्याओं को सही नहीं ठहराया जा सकता.’
बदला कभी न्याय नहीं हो सकताः सीताराम येचुरी
वामपंथी पार्टियों ने हालांकि, पूरे मामले पर सख्त रुख अख्तियार किया. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि गैर-न्यायिक हत्याएं महिला सुरक्षा के प्रति चिंता का जवाब नहीं हो सकतीं. येचुरी ने कहा-
‘‘हम कैसे देश के प्रत्येक नागरिक के प्राण और गरिमा की रक्षा कर सकते हैं जो सभ्य समाज के लिए आवश्यक है. न्याय कभी भी बदला नहीं हो सकता. क्यों 2012 में दिल्ली में हुए अपराध के बाद बने सख्त कानून को लागू नहीं किया गया?’’
जो हुआ, बहुत भयानक हुआः मेनका गांधी
पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा-
‘‘जो भी हुआ बहुत भयानक हुआ है इस देश के लिए...आप लोगों को इसलिए नहीं मार सकते क्योंकि आप ऐसा करना चाहते हैं. आप कानून को अपने हाथ में नहीं सकते हैं, उन्हें (आरोपियों को) अदालत से तो फांसी मिलने ही वाली थी.’’
मेनका ने कहा , ‘‘फिर फायदा क्या है? फायदा क्या है अदालत का, फायदा क्या है पुलिस का? तब तो जिस को चाहो उठाओ और गोली मार दो.’’
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