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विमान एएन 32: वजह छोड़िए शायद मलबा भी हमारे हाथ न लगे

कई संसाधन लगाए गए हैं लेकिन विमान की तलाश के लिए अब तक की सभी जांच बेनतीजा रही है.

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भारतीय वायुसेना का विमान एएन 32. इसके लापता होने की वजह खराब मौसम, संरचनात्मक विफलता या पायलट की चूक रही शायद हम कभी नहीं जान पाएंगे.

अब तक विमान का कोई सुराग नहीं मिला है. इसकी तलाश में भारतीय सेना ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है फिर भी विमान या मलबे का सुराग हाथ नहीं लग पाया है. विमान को खोजने के लिए तलाश और बचाव अभियान मंगलवार को पांचवें दिन भी जारी है. विमान में सवार लोगों के जिंदा मिल पाने की उम्मीद भी मिटती जा रही है.

मनोहर पर्रिकर ने भी जताई निराशा

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर पूरे ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए हैं. लेकिन मंगलवार को उन्होंने भी इस विमान के बारे में कभी भी पता न चल पाने की बात कही. अभी तक मिले सभी सबूत किसी अनहोनी की ओर इशारा कर रहे हैं.

कई संसाधन लगाए गए हैं. अभी तक मिले सभी सबूत अनहोनी की ओर इशारा कर रहे हैं. विमान की तलाश के लिए अब तक की सभी जांच बेनतीजा रही है.
मनोहर पर्रिकर, रक्षा मंत्री

एयरफोर्स का ये विमान आर्म्ड फोर्सेज के लिए वीकली फ्लाइट था. भारतीय सेना और वायु सेना में एएन-32 जहाजों का व्यापक इस्तेमाल होता है. इनकी माल ढोने की क्षमता काफी ज्यादा है. भारतीय वायुसेना के पास करीब 100 एएन-32 मालवाहक विमान हैं.

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जांच का दायरा बढ़ा

लापता एएन-32 प्लेन का खोज अभियान अस्थिर समुद्र और मॉनसून के बादलों की वजह से बाधित भी होता रहा.



कई संसाधन लगाए गए हैं लेकिन विमान की तलाश के लिए अब तक की सभी जांच बेनतीजा रही है.
(फोटो: ANI)

विमान के इमरजेंसी लोकेटर ट्रांसमिटर (ELT) या बेकन से कोई सिगनल नहीं मिला जो सर्च को आसान कर सकता था. ईएलटी के सिगनल को सैटेलाइट पकड़ लेता है जिससे लापता प्लेन को ढूंढने का इलाका और सीमित किया जा सकता है.

इमरजेंसी लोकेशन बेकन एक ऐसी मशीन है जो विमान के क्रैश होने या इमरजेंसी लैंडिंग की स्थि‍ति में एक खास फ्रिक्वेंसी पर तुरंत सिग्नल भेजता है.

वायुसेना के विमान एएन-32 में जो बेकन लगा था, उसकी बैटरी क्षमता कम से कम 48 घंटे की है. लेकिन सर्च ऑपरेशन में जुटी टीम को ट्रांसमीटर से कोई सिग्नल नहीं मिला है.

सैटेलाइट भी नाकाम

लापता हुए विमान की तलाश में कई संसाधन लगाए गए हैं. सर्च के लिए नौसेना और कोस्टगार्ड के 17 जहाज दिन रात बंगाल की खाड़ी में चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर के बीच जुटे हुए हैं. विमान का सुराग पता करने के लिए सैटेलाइट की भी मदद ली जा रही है. भारतीय नौसेना की रूकमणी सैटेलाइट ने इमेजरी-तस्वीरें भेजी. उपग्रह ने समंदर मे तैर रहीं कुछ चीजों की तस्वीरें भेजी थी. उस जगह युद्धपोत और टोही विमानों को भेजा गया, लेकिन वहां कुछ नहीं मिला.



कई संसाधन लगाए गए हैं लेकिन विमान की तलाश के लिए अब तक की सभी जांच बेनतीजा रही है.
(फोटो: ANI)

नौसेना की एक पनडुब्बी भी समंदर के नीचे विमान को तलाश कर रही है. जिस जगह प्लेन लापता हुआ वहां समंदर करीब 3500 मीटर गहरा है.

राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान के हिम श्रेणी के अत्याधुनिक पोत ‘सागर निधि’ को भी मॉरिशस से बुलाया गया है.

दर्ज किया गया मामला

एयरफोर्स ने तमिलनाडु पुलिस के जरिए गायब हुए विमान की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई है. तमिलनाडु के सेलाइयुर थाने में ये एफआईआर दुर्घटना और हादसों की धाराओं के साथ एयरक्राफ्ट एक्ट 1934 के तहत दर्ज कराई गई है. एयरफोर्स अधिकारी ने एफआईआर में लिखवाया है

लापता विमान ने 22 जुलाई की सुबह 9.05 मिनट पर एटीसी से (खराब) मौसम के चलते अपने हवाई-मार्ग से दांई दिशा मे जाने की इजाजत मांगी थी. लेकिन 9.13 मिनट के बाद विमान रडार (कवर) से बाहर हो गया. तब से विमान से कोई संपर्क नहीं हो पाया है. वायुसेना का एएन-32 विमान एक कोरियर-प्लेन था जो सशस्त्र सेनाओं के 23 अधिकारियों और जवानों को लेकर चेन्नई के तंबारम एयरबेस से पोर्ट ब्लेयर जा रहा था.  
एफआईआर में दर्ज रिपोर्ट

उड़ान के आधे घंटे बाद ही टूटा संपर्क

  • विमान में सवार लोग चेन्नई के पास तंबारम एयरबेस से सुबह 8.30 बजे पोर्ट ब्लेयर के लिए रवाना हुए थे.
  • तय वक्‍त के मुताबिक इस विमान को सुबह 11.15 के करीब पोर्ट ब्लेयर पर लैंड होना था. लेकिन, उड़ान भरने के करीब आधे घंटे बाद ही विमान का संपर्क टूट गया.
  • एयरफोर्स के विमान एएन-32 से उनका आखिरी संपर्क सुबह 8:46 पर हुआ था.
  • उस वक्‍त ये विमान 23 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था.
  • रडार में इसकी आखिरी लोकेशन सुबह नौ बजे दर्ज की गई. इसके बाद से विमान का रडार से संपर्क टूट गया.

विमान शुक्रवार 22 जुलाई को चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर जाते समय लापता हो गया था. जिसमें एयरफोर्स के 12 जवान, 6 क्रू-मेंबर, एक नौसैनिक, एक सेना का जवान और एक ही परिवार के आठ सदस्य मौजूद थे.

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