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पूर्व IAS गोपीनाथन ने बताया, गृह मंत्रालय से आया था ‘बेकार’ नोटिस

जम्मू-कश्मीर में मौलिक अधिकारों के हनन का हवाला देते हुए इस्तीफा देने वाले पूर्व IAS ने बताया नोटिस मिलने का कारण

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अभिव्यक्ति की आजादी के हनन का हवाला देकर इस्तीफा देने वाले 32 वर्षीय आईएएस अफसर कन्नन गोपीनाथन ने बताया है कि गृह मंत्रालय से उनको जुलाई में 'कारण बताओ' नोटिस मिला था. नोटिस जारी होने के लिए 5 कारण बताए गए थे, जिनमें से एक ये था कि गोपीनाथन ने प्रधानमंत्री अवॉर्ड के लिए आवेदन नहीं किया था.

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हालांकि क्विंट से बात करते हुए कन्नन गोपीनाथन ने ये साफ कर दिया कि नोटिस का इस्तीफे से कोई लेना-देना नहीं है. गोपीनाथन ने कहा,‘मैंने 23 अगस्त को इस्तीफा दिया है, जबकि‍ नोटिस मुझे जुलाई में मिला था और मैंने उसका जवाब भी दे दिया था.’’

गोपीनाथन ने बताया कि 5 अगस्त को उनको अतिरिक्त प्रभार दिया गया था. नोटिस के बारे में गोपीनाथन ने बताया कि वो बात तो पुरानी हो गई और किस्सा भी खत्म हो गया.

ये पहली बार नहीं था, जब नोटिस जारी हुआ

कन्नन गोपीनाथन के साथ ये पहला वाकया नहीं था, जब उनको नोटिस जारी हुआ हो.

लोकसभा चुनाव के दौरान जब गोपीनाथन रिटर्निंग ऑफिसर के तौर पर काम कर रहे थे, उस वक्त भी सरकार की ओर से नोटिस जारी हुआ था, जो कि वापस ले लिया गया.

द क्विंट को गोपीनाथन ने बताया, ‘‘जब कोई रिटर्निंग ऑफिसर के तौर पर काम कर रहा होता है, उस वक्त वो चुनाव आयोग के अधीन होता है. तभी मैंने चुनाव आयोग से कहा था कि वो नोटिस का संज्ञान ले और इसे वापस लेने के लिए कहे.’’

जो नोटिस गोपीनाथन को चुनाव के दौरान जारी किया गया था, उसे वो ‘अस्पष्ट’ और ‘अनुचित’ बताते हैं.

हालांकि गोपीनाथन तब तक इस बात का अंदाजा लगा चुके थे कि नोटिस जारी होना और उसके वापस लिए जाने और जो स्वायत्तता उन्होंने दिखाने की कोशिश की है, उसका क्या नतीजा होगा.

‘छिछला नोटिस’

लोकसभा चुनाव के दौरान जारी हुआ नोटिस जून में वापस ले लिया गया. इसके बाद गृह मंत्रालय से एक नया नोटिस जारी हुआ. इस नोटिस को गोपीनाथन 'छिछला' बताते हैं. इस दौरान गोपीनाथन दादर और नगर हवेली के जिलाधिकारी के पद पर थे.

‘‘ये नोटिस ‘छिछला’ था. इसमें ऐसे पॉइंट्स थे, जैसे कि मैंने प्रधानमंत्री अवॉर्ड के लिए आवेदन नहीं किया और केरल जाने के बाद मैंने टूर रिपोर्ट नहीं सौंपा.’’
कन्नन गोपीनाथन

गोपीनाथन केरल में आई बाढ़ के दौरान केरल टूर पर थे. उस वक्त वो दादर और नगर हवेली के जिलाधिकारी के पद पर थे और वो केरल में राहत का काम करने चले गए थे. केरल में बिना किसी को अपनी पहचान बताए गोपीनाथन ने काम किया. वहां कुछ अधिकारियों ने गोपीनाथन को पहचान लिया, जिससे उनके बारे में लोगों को पता चला.

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