जम्मू-कश्मीर के रहने वाले पूर्व आईएएस ऑफिसर शाह फैसल ने कहा है कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाने का अब वक्त आ चुका है. शाह फैसल पिछले दिनों अपने इस्तीफे को लेकर चर्चा में आए थे. सिविल सेवा परीक्षा के टॉपर रहे फैसल ने कश्मीर में कथित हत्याओं और इसे लेकर केंद्र की ओर से कोई गंभीर कदम न उठाने का आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा दिया था.
कुछ नहीं होगा बस कब्रिस्तान बनेंगे
फैसल ने अपने एक ट्वीट में कहा कि राजनीतिक समस्याओं के सैन्य समाधान से कुछ नहीं होगा बल्कि इससे कब्रिस्तान बनेंगे. उन्होंने कहा, राजनीतिक समस्याओं का समाधान सैन्य तरीके से करने के प्रयास में इधर भी कब्रिस्तान बनते हैं और उधर भी. अपने सियासी सफर की शुरुआत के लिए आम लोगों से क्राउडफंडिंग कैंपेन शुरू कर चुके फैसल 1994 में कुपवाड़ा कस्बे में 27 लोगों के मारे जाने और 38 अन्य लोगों के घायल होने की घटना पर बोल रहे थे.
समाधान का वक्त आ गया है
शाह फैसल ने कहा कि अब समाधान का वक्त आ चुका है. उन्होंने कहा. 'कुपवाड़ा में जनसंहार की 25वीं बरसी पर आज मैं कश्मीर के लोगों और उनकी कुर्बानी के प्रति एकजुटता व्यक्त करता हूं'. अब यही कहना चाहूंगा कि फैसले और इसके समाधान का वक्त आ चुका है.
फैसल के इस्तीफे के बाद कई दिनों तक इसकी चर्चा चलती रही. कई राजनीतिक दलों ने इसी बहाने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया. वहीं कुछ राजनीतिक पार्टियों ने तो कयास भी लगाने शुरू कर दिए थे कि फैसल किसी पार्टी के साथ जुड़कर चुनाव लड़ने वाले हैं.
ये बताया था कारण
35 वर्षीय फैसल ने फेसबुक पर एक संक्षिप्त बयान में इस्तीफे का कारण बताया था. फैसल ने लिखा कि उनका इस्तीफा हिंदूवादी ताकतों द्वारा करीब 20 करोड़ भारतीय मुस्लिमों के हाशिये पर जाने की वजह से उनके दोयम दर्जे का हो जाने, जम्मू-कश्मीर राज्य की विशेष पहचान पर कपटपूर्ण हमलों, भारत में अति-राष्ट्रवाद के नाम पर असहिष्णुता और नफरत की बढ़ती संस्कृति के विरुद्ध है.
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