कोरोना वायरस पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की नेशनल टास्क फोर्स मरीजों के इलाज में इस्तेमाल हो रही कोवैलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी के अनुचित उपयोग पर रिव्यू के लिए 14 मई को बैठक करेगी. देश में कोविड मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर कई एक्सपर्ट सरकार को लिख रहे हैं.
कई क्लीनीशियंस और साइंटिस्ट ने प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल साइंटिफिक सेक्रेटरी के विजय राघवन को लेटर लिखकर देश में कोविड-19 के लिए कोवैलेसेंट प्लाज्मा के “तर्कहीन और गैर-वैज्ञानिक उपयोग” के खिलाफ चेतावनी दी है.
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, पब्लिक हेल्थ प्रोफेशनल्स ने कहा कि कोविड पर प्लाज्मा थेरेपी के मौजूदा सबूत और ICMR के दिशानिर्देशों मौजूदा सबूतों पर आधारित नहीं हैं. एक्सपर्ट्स ने कहा,
“हम आपको भारत के संबंधित डॉक्टरों, पब्लिक हेल्थ प्रोफेशनल्स और वैज्ञानिकों के रूप में देश में कोविड-19 के लिए कायलसेंट प्लाज्मा के तर्कहीन और गैर-वैज्ञानिक उपयोग के बारे में लिख रहे हैं.”
वैक्सीनोलॉजिस्ट गगनदीप कांग और सर्जन प्रमेश सीएस जैसे पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स द्वारा साइन किए गए इस लेटर में कहा गया है कि प्लाज्मा थेरेपी के तर्कहीन उपयोग के कारण विकसित होने वाले वायरूलेंट स्ट्रेन की संभावना को बढ़ाता है, जो महामारी को बढ़ा सकता है.
ICMR ने AIIMS के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया के नेतृत्व में एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया था. टास्क फोर्स इलाज प्रोटोकॉल बनाने, रिसर्च प्राथमिकताओं की पहचान करने और कोविड से निपटने के लिए ग्लोबल स्ट्रैटेजी पर मौजूदा सबूतों की समीक्षा करने के लिए जिम्मेदार है.
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