दुनियाभर के देश कोरोना वायरस का कहर झेल रहे हैं. इसके इलाज के लिए हर देश की कई लैब दिन-रात रिसर्च में जुटी हैं. भारत में भी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साइंटिस्ट्स इस पर काम कर रहे हैं. लेकिन भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से आईसीएमआर को एक प्रस्ताव दिया गया था कि वो कोरोना के इलाज के लिए गंगाजल पर स्टडी करें. जिसे अब आईसीएमआर ने खारिज कर दिया है.
आईसीएमआर की तरफ से कहा गया है कि फिलहाल गंगाजल पर रिसर्च नहीं की जा सकती है. क्योंकि अभी इसे लेकर और साइंटिफिक डेटा की जरूरत है.
बता दें कि कुछ एनजीओ ने मिलकर केंद्र सरकार को इस बात का सुझाव भेजा था कि कोरोना के मरीजों को दवा के साथ गंगाजल भी दिया जाना चाहिए. इससे वायरस को खत्म करने में मदद मिलेगी. जिसके बाद जल शक्ति मंत्रालय की तरफ से इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाकर कहा गया कि आईसीएमआर को इस पर रिसर्च करनी चाहिए.
बताया गया है कि इस प्रस्ताव को लेकर आईसीएमआर कमेटी में चर्चा भी हुई. जिसके बाद ये तय हुआ कि फिलहाल गंगाजल पर रिसर्च नहीं की जा सकती है. क्योंकि इसे लेकर अब तक जितना भी साइंटिफिक डेटा मौजूद है वो कोरोना के इलाज में इसका इस्तेमाल करने में काफी नहीं है.
आयुष मंत्रालय ने भी बनाया टास्क फोर्स
जलशक्ति मंत्रालय की तरह आयुष मंत्रायल ने भी आयुर्वेद से कोरोना का इलाज खोज निकालने के लिए एक टास्ट फोर्स गठित कर दिया है. ये टास्क फोर्स करीब 2 हजार से भी ज्यादा आयुर्वेदिक दवाओं को खंगालेगी. इस शोध में अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडुची, पिप्पली पर काम किया जाएगा.
इससे पहले आयुष मंत्रालय उन आयुर्वेदिक फॉर्मूलों के इस्तेमाल को लेकर दिशा निर्देश जारी कर चुका है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. इसमें कई तरह के काढ़े शामिल हैं.
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