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COVID19 संदिग्धों की पहचान के लिए पूर्व IIT छात्रों ने बनाया ड्रोन

IIT के पूर्व छात्रों ने इन्फ्रारेड कैमरे से लैस एक ड्रोन बनाया है.

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भारत
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कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगातार नए-नए प्रयोग किये जा रहे हैं. हाल ही में कोरोना वायरस की जांच के लिए मायलैब ने टेस्ट किट बनाया था, जिससे 2 घंटे में वायरस का टेस्ट किये जाने का दावा किया गया था. अब IIT के तीन पूर्व छात्रों ने एक ऐसे ड्रोन को तैयार किया है, जिससे लोगों की थर्मल जांच की जा सकती है. छात्रों ने इन्फ्रारेड कैमरे से लैस एक ड्रोन बनाया है.

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ड्रोन को लेकर दावा किया जा रहा है कि ये शुरुआती चरणों में ही कोरोना वायरस के संदिग्धों की पहचान कर सकता है. ड्रोन में एक लाउडस्पीकर का भी प्रयोग किया गया है जिसकी मदद से जरूरी निर्देश दिये जाने का काम किया जा सकता है.

‘मारुत ड्रोनटेक’ नाम से एक स्टार्टअप की स्थापना करने वाली IIT गुवाहाटी के पूर्व छात्रों की टीम, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश सरकार त्रिची नगर निगम के साथ मिलकर इस ड्रोन का परीक्षण कर रही है.

'खतरे से बचने के लिए ड्रोन का उपयोग सही'

ड्रोन बनाने वाली टीम के सदस्य प्रेम कुमार विस्लावथ ने कहा, लॉकडाउन में ढील मिलते ही लोग फिर से भीड़ से जुड़ने लगेंगे. ऐसे में सोशल डिस्टेंस सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाएगा और संक्रमण का खतरा और भी बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा, भोजन एवं दवाइयां पहुंचाने और संक्रमण मुक्त करने के लिए छिड़काव करने समेत कई कामों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है, हमें लगा कि तापमान मापते समय कर्मियों में संक्रमण के खतरे को सीमित करने के लिए इन्फ्रारेड कैमरा से युक्त ड्रोन का उपयोग सही हो सकता है.

'नहीं किया गया है मेडिकल स्टैंडर्ड के लिए तैयार'

इस टीम के दूसरे सदस्य सूरज पेड्डी ने कहा कि इस ड्रोन कैमरा का इस्तेमाल शरीर का तापमान मापने के लिए किया जा सकता है और अधिकारी संक्रमित व्यक्ति से दूर रह सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि इसके परिणाम अच्छे हैं लेकिन यह बताना जरूरी है कि ये समाधान मेडिकल स्टैंडर्ड में इस्तेमाल करने के लिए तैयार नहीं किया गया है.

जब दुनिया भर के देश इस वैश्विक महामारी के कारण बंद लागू कर रहे हैं, ऐसे में ड्रोन अच्छा विकल्प बनकर सामने आए हैं. कोविड-19 संक्रमण से देश में 56 लोगों की मौत हो चुकी है और 2,301 लोग इससे संक्रमित हैं.

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