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'उसके साथ हमारी उम्मीदें भी मर गईं': खुदकुशी से जान गंवाने वाले IIT छात्र के भाई

अनिल की मौत उसी विभाग के चौथे वर्ष के दलित छात्र आयुष आशना की मौत के 6 हफ्ते बाद हुई.

Published
भारत
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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली (IIT, Delhi) के 21 साल के छात्र अनिल कुमार, जिसकी हाल ही में खुदकुशी से मौत हो गई. उनके बड़े भाई ने भावुक होकर द क्विंट से बात करते हुए बताया कि "जब उन्होंने 2019 में कानपुर से एग्जाम दिया, तो उन्हें संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) में अखिल भारतीय स्तर पर 16वीं रैंक मिली.

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उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के रहने वाले अनिल कुमार दलित समुदाय से थे. माने-जाने संस्थान में गणित और कम्यूटिंग में बीटेक के एक छात्र की शुक्रवार, 1 सितंबर को मौत हो गई. इस घटना के बाद भारत के प्रमुख कॉलेजों में खुदकुशी से होने वाली मौत की खबरें आने लगीं. इनमें IIT में उसी विभाग के चौथे वर्ष के दलित छात्र आयुष आशना की मौत भी शामिल है.

दोनों मौतों के सिलसिले में IIT दिल्ली के छात्रों ने एक बयान जारी किया, जिसमें दावा किया गया कि उनकी मौतें "व्यक्तिगत फेल्योर नहीं" बल्कि "संस्थागत" हैं.

'अनिल ने आखिरी बार मुझे अपने नए फोन की तस्वीर भेजी थी'

मृतक के भाई अमित ने द क्विंट को बताया कि मैंने उससे आखिरी बार 29 अगस्त को बात की थी. हम बस यूं ही बात कर रहे थे, जब उसने बताया कि उसका फोन हैंग हो रहा है. इसलिए, मैंने उससे एक नया फोन खरीदने के लिए कहा था. उसने बचे हुए स्कॉलरशिप के पैसों से अगले दिन नया फोन खरीदा था.

बत्तीस साल के अमित, चार भाई-बहनों (तीन भाई और एक बहन) में सबसे बड़े- बांदा में संविदा पर ड्राइवर के रूप में काम करते हैं. वो अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं, जिसमें उनकी पत्नी, उनकी मां, तीन भाई-बहन और उनकी दादी शामिल हैं.

अमित ने गमगीन लहजे में कहा कि उसने व्हाट्सएप पर मुझे जो आखिरी मैसेज भेजा था, वह उसके नए फोन की तस्वीर थी, वह खुश था.

द क्विंट से बात करते हुए DCP साउथवेस्ट दिल्ली मनोज सी ने कहा कि कॉलेज के विंध्याचल हॉस्टल में रहने वाले अनिल कुमार को 6 महीने के लिए हॉस्टल में रहने का वक्त बढ़ा दिया गया था, जिससे वह अपने लंबित विषयों को पास कर सके. उसे जून 2023 में हॉस्टल खाली करना था.

उन्होंने मामले में किसी भी तरह की "गलत हरकत" से इनकार किया और कहा कि जांच चल रही है. शाम करीब 6 बजे किशनगढ़ पुलिस स्टेशन में एक कॉल आने पर पुलिस मौके पर पहुंची, तो उन्होंने पाया कि "दरवाजा अंदर से बंद था और अग्निशमन विभाग को इसे तोड़ना पड़ा.

उसके भाई ने कहा कि उसका नया फोन पुलिस के कब्जे में था और हॉस्टल के कमरे को संस्थान प्रशासन ने बंद कर दिया था.

पुलिस ने अभी तक यह नहीं बताया है कि मामले में कोई सुसाइड नोट बरामद हुआ है या नहीं.

द क्विंट ने ज्यादा जानकारी के लिए IIT दिल्ली के PRO से बात की और छात्रों द्वारा लगाए गए आरोपों पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी. उनके जवाब देने के बाद आर्टिकल को अपडेट कर दिया जाएगा.

हालांकि, छात्रों को कथित तौर पर उसी रात डायरेक्टर के ऑफिस से एक E-mail मिला था, जिसमें उन्हें घटना की जानकारी दी गई थी.

"बहुत भारी मन से, आपको हमारे समुदाय के एक बहुत ही युवा सदस्य अनिल कुमार के अत्यंत दुखद और असामयिक निधन के बारे में सूचित करना मेरा दुर्भाग्यपूर्ण कर्तव्य है... यह दुखद नुकसान और बढ़ गया कि अनिल SC समुदाय से थे.
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"अनिल मेहनती था, हमेशा पढ़ाई पर ध्यान देता था"

एक प्रोफेसर ने द क्विंट को बताया कि अनिल एक जिम्मेदार और सीरियस छात्र था. वह बहुत विचारशील था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह इतना खतरनाक कदम उठाएगा. उसके भाई ने भी उन्हें मेहनती और धैर्यवान बताया.

अमित ने द क्विंट के साथ बातचीत में कहा कि

घर में खाना हो या ना हो, चाहे सूखी रोटी खानी पड़े लेकिन अनिल का ध्यान सिर्फ पढ़ाई में रहता था. उसे क्रिकेट देखना बहुत पसंद है, लेकिन उसने 'पढ़ाई जारी रखते हुए' खेल भी खूब खेला.

अनिल ने अपनी CBSE क्लास 10 का बोर्ड एग्जाम उत्तर प्रदेश से, क्लास 12 का बोर्ड एग्जाम हैदराबाद से पूरा किया और फिर राजस्थान के कोटा से JEE की तैयारी की, जिसके बाद उसने IIT दिल्ली में अपनी जगह बनाई.

"वह हमारे परिवार से शिक्षा में इस तरह की अहमियत हासिल करने वाला पहला बंदा था."

अनिल को पढ़ाने वाली एक अन्य प्रोफेसर ने द क्विंट से बातचीत में बताया कि वो उसे बहुत अच्छे से याद करती हैं. उन्होंने कहा कि यह एक साहित्यिक कोर्स था और उसने इसमें बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. मैं उसे अच्छी तरह से याद करती हूं. वह गर्मजोशी से भरा और मिलनसार था.

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2 महीने में दलित छात्र की खुदकुशी से दूसरी मौत

लगातार हो रही मौतों की वजह से छात्रों ने प्रशासन से "दर्दनाक घटनाओं" की रोकथाम करने के लिए "तत्काल कदम" उठाने की मांग की है.

3 सितंबर को जारी एक बयान में, जिसे द क्विंट ने पाया कि छात्रों ने उन छात्रों पर बोझ को कम करने के लिए सिलेबस और मार्किंग स्कीम में बदलाव की मांग की है, जो महामारी से प्रभावित थे या विस्तार की सेवा कर रहे हैं.

अनिल के प्रोफेसरों में से एक ने द क्विंट को बताया कि आज युवा लोग बेहद प्रतिस्पर्धी दुनिया में रहते हैं, जो उन्हें बेहद कमजोर बनाता है. शिक्षक और माता-पिता के रूप में, शायद हमें हमेशा यह एहसास नहीं होता है कि वे कितने कमजोर हैं.

छात्रों ने अपने बयान में कहा कि गणित विभाग मरने वाले छात्रों को अंतर्मुखी, आरक्षित, पीछे हटने वाला कहकर अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता है और छात्रों ने परामर्श प्रक्रियाओं की तलाश करने की पहल नहीं की, जैसा कि उन्होंने आयुष आशना की मौत के दौरान दावा किया था.

बीस साल के दलित छात्रा आशना, जो उत्तर प्रदेश के बरेली की रहने वाली थी और गणित और कम्यूटिंग में बीटेक के चौथे वर्ष की छात्रा थी. उसकी 10 जुलाई को खुदकुशी से मौत हो गई थी.

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    (फोटो- Accessed by The Quint)

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    (फोटो- Accessed by The Quint)

छात्रों ने आयुष आशना की खुदकुशी से हुई मौत के बाद आए संरचनात्मक बदलावों को जानने की मांग की और गणित विभाग के प्रमुख के इस्तीफे की मांग की. छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि विभाग में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति (SC/ST) समुदाय से कोई भी संकाय सदस्य नहीं है.

इस बीच, अमित अपने और अपने परिवार के लिए आगे के रास्ते को लेकर अनिश्चित हैं.

अमित ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी स्थिति कभी आएगी और उसके साथ ही हमारी सारी उम्मीदें मर गई हैं.

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