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महाराष्ट्र-गुजरात तटों के पास ‘चक्रवाती तूफान’ पहुंचने की आशंका 

अरब सागर और लक्षद्वीप पर बना कम दबाव का क्षेत्र चक्रवाती तूफान में और तेजी ला सकता है

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भारत
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अरब सागर और लक्षद्वीप पर बना कम दबाव का क्षेत्र चक्रवाती तूफान में और तेजी ला सकता है और यह अगले सप्ताह महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय राज्यों तक पहुंच सकता है. भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने रविवार को यह जानकारी दी.

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“दक्षिण-पूर्व और इससे सटे मध्य पूर्व अरब सागर और लक्षद्वीप क्षेत्र में एक कम दबाव का क्षेत्र बना है. अगले 24 घंटों के दौरान और तीव्र होकर डिप्रेशन में बदलेगा और उसके बाद और तीव्र हो सकता है. इसके उत्तर की ओर बढ़ने और 3 जून तक उत्तर महाराष्ट्र और गुजरात तटों के पास पहुंचने की आशंका है.”
सुनीता देवी, आईएमडी में चक्रवातों की प्रभारी

4 जून तक मछुआरो को समुद्र में न जाने की सलाह

कम दबाव का क्षेत्र और तनाव आईएमडी के आठ-श्रेणी के पैमाने पर वे पहले दो स्तर हैं, जिनका उपयोग चक्रवातों को उनकी तीव्रता के आधार पर वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है.मौसम ब्यूरो ने कहा कि समुद्र की स्थिति बहुत खराब होगी और मछुआरों को 4 जून तक समुद्र में न उतरने की सलाह है.

2 से 4 जून के बीच दक्षिण तटीय महाराष्ट्र में भारी बारिश, 2-3 जून को उत्तरी तट पर और गुजरात, दमन और दीव और दादर और नगर हवेली में 3-5 जून तक भारी बारिश का अनुमान है.

आईएमडी ने कहा कि अरब सागर पर एक कम दबाव के क्षेत्र के प्रभाव के कारण केरल में मानसून की शुरुआत के लिए 1 जून से स्थितियां अनुकूल हो जाएंगी.

'मॉनसून शुरुआत की खबर सही नहीं है'

केरल में मानसून की आगमन की तारीख हर साल 1 जून और महाराष्ट्र में 10 जून के आसपास की होती है. पूवार्नुमान लगाने वाली एक निजी एजेंसी ने शनिवार को दावा किया था कि मानसून पहले ही केरल से टकरा चुका है, लेकिन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा जोर देकर फिर से अपने दावे को दोहराया गया.

मंत्रालय के सचिव ने कहा, "सोशल मीडिया में केरल पर मानसून की शुरुआत के बारे में खबर सही नहीं है. मॉनसून केरल में नहीं आया है. स्टीफन हॉकिंग ने कहा है कि ज्ञान का सबसे बड़ा दुश्मन अज्ञानता नहीं है, बल्कि ज्ञान होने का भ्रम है."

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