2017 में देशपर आतंकवाद का साया बना रहा. देश के मासूम और निर्दोष लोग आतंकवाद के शिकार बनते रहे. पिछले साल आतंकवाद से देशभर में करीब 800 लोगों की मौत हुई. इसमें आम लोगों के साथ-साथ हमारे सेना के जवान भी शामिल थे.
तमाम सख्ती के बाद भी सीमा पार से होने वाली गोलीबारी और आतंकी हमलों की घटनाओं में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं आई है. उल्टा इस साल तीन गुना ज्यादा सीजफायर का उल्लंघन हुआ.
427 आतंकियों को मौत के घाट उतारा
देशवासियों की सुरक्षा में दिन-रात तैनात रहने वाले सेना के जवान आतंकी वारदातों को हरसभंव रोकने की कोशिश की. इसके लिए उन्होंने आतंकवादियों से जमकर लोहा लिया और 427 आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया. हालांकि इसमें जवानों को भी अपने प्राण न्यौछावर करने पड़े. आतंकी हमलों में पिछले साल 170 जवान शहीद हो गए.
जम्मू-कश्मीर में 218 आतंकी ढेर
जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा बलों ने 2017 में कुल 218 आतंकियों को मार गिराया, जबकि 75 अन्य युवाओं को हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए राजी किया गया. बीते साल राज्य में सुरक्षा बलों की तरफ से शुरू किए गए 'ऑपरेशन ऑल आउट' से आतंकियों को निशाना बनाने में काफी मदद मिली.
राज्य के डीजीपी वैद के मुताबिक, ये अभियान केवल आतंकियों को मार गिराने के लिए ही नहीं बल्कि उन्हें हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल करने के लिए भी शुरू किया गया था." राज्य पुलिस ने सार्वजनिक सुक्षा अधिनियम के तहत 34 लोगों के खिलाफ नशीले पदार्थों के दुरुपयोग का मामला दर्ज कर एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की.
अमरनाथ यात्रा में आतंकियों के निशाने पर श्रद्धालु
आतंकवादियों ने श्रद्धालुओं को भी अपना निशाना बनाया. 10 जुलाई 2017 को आतंकवादियों ने अमरनाथ यात्रा पर हमला किया. इसमें 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हुए. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने इस हमले को अंजाम दिया था. पिछले साल अलग-अलग आतंकी हमलों में कुल मिलाकर 200 आम नागरिक शिकार बनें.
तीन गुना ज्यादा सीजफायर उल्लंघन
2016 की तुलना में 2017 में तीन गुना ज्यादा संघर्ष विराम का उल्लंघन हुआ. 2016 में जहां 228 बार पाकिस्तानी सेना ने बिना किसी कारण के गोलीबारी की, तो साल 2017 में उसके हौसले और ज्यादा बढ़ गए और 771 बार सीजफायर का उल्लंघन किया.
हालांकि देश की पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर लगातार हो रहे आतंकी हमलों के बीच भारत ने इलाके में सुरक्षा प्रदाता की भूमिका में 2017 में एक विशेष पहल की है. साथ ही, देसी रक्षा उपकरणों के विनिर्माण की दिशा में भी कदम बढ़ाए गए हैं.
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