ADVERTISEMENTREMOVE AD

59 चाइनीज ऐप बैन, एक्सपर्ट इस फैसले को किस नजर से देखते हैं?

ऐलान के बाद से ही कुछ एक्सपर्ट इस कदम पर अपनी राय रख रहे हैं. निखिल पाहवा इसे राजनीतिक फैसला बताते हैं.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए टिकटॉक, वीचैट, यूसी ब्राउजर जैसे 59 चीनी ऐप पर बैन लगा दिया है. मंत्रालय का कहना है, "हमारे पास विश्वसनीय सूचना है कि ये ऐप ऐसे गतिविधि में लगे हुए थे, जिससे हमारी संप्रभुता और अखंडता और रक्षा को खतरा था, इसलिए ये कदम उठाए गए हैं.''

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के सीमा विवाद के बीच इस महीने की शुरुआत में, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इन चीनी ऐप से देश की सुरक्षा और निजता को लेकर चेतावनी दी थी.

बयान के मुताबिक, "इन डाटा का संकलन, माइनिंग और प्रोफाइलिंग राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत की रक्षा के लिए सही नहीं थे, जिससे हमारे देश की संप्रभुता और अखंडता प्रभावित हो रही थी और यह गहरी चिंता का विषय था और इस पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत थी."

ये भी देखें- Indian Startups में चीनी कंपनियों के निवेश पर गेटवे हाउस के फेलो अमित भंडारी से खास बातचीत

'राजनीतिक फैसला!'

बैन के ऐलान के बाद से ही कुछ एक्सपर्ट इस कदम पर अपनी राय रख रहे हैं. मीडियानामा के फाउंडर निखिल पाहवा इसे राजनीतिक फैसला बताते हैं.

“मेरी जानकारी में ये पहली बार हो रहा है कि भारत की सरकार ने आईटी एक्ट के सेक्शन 69 के तहत ऐप्स पर बैन लगाया हो. पता है हैरान करने वाली बात क्या है? उन्हें इसका ऐलान करने की जरूरत नहीं. सेक्शन 69 सीक्रेट सरकारी ब्लॉकिंग की अनुमति देता है. इसलिए ये एक राजनीतिक फैसला है. “
निखिल पाहवा, फाउंंडर, मीडियानामा

पाहवा का कहना है, "ये ऐलान चीन को संदेश देने के लिए किया गया है. इसे राजनीतिक फैसले के अलावा और किसी तरह से नहीं देखना चाहिए. पिछले 3 महीनों से इन ऐप्स के काम करने के तरीके में बदलाव नहीं हुआ था. अगर ये सही फैसला है तो एक साल पहले क्यों नहीं लिया गया?"

'ब्लॉक का मतलब क्या है?'

उन्होंने सरकार से पूछा कि ब्लॉक करने का क्या मतलब होता है. निखिल ने कहा, "क्या इसका मतलब ये है कि 59 ऐप्स में जो डाउनलोड किए हुए हैं, वो काम करना बंद कर देंगे? या इन ऐप्स को ISP के स्तर से ब्लॉक किया जाएगा? ये फिर ऐप और प्ले स्टोर इसके डाउनलोड को रोकेंगे?"

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन का क्या कहना है?

इस बैन पर इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन का भी बयान सामने आया है. फाउंडेशन का कहना है कि बिना नोटिस दिए और दूसरे पक्ष की बात सुने हुए सीधा ब्लॉक कर देना ब्लॉकिंग नियमों के खिलाफ है.

एक साथ 59 वेबसाइट के खिलाफ ब्लॉक हुआ है. यहां जो कारण दिया गया है वो सेक्शन 69A और ब्लॉकिंग नियमों के तहत मिली ब्लॉकिंग पावर के व्यक्तिगत स्वाभाव के खिलाफ है.

फाउंडेशन का कहना है, ब्लॉकिंग नियम 2009 में नोटिस देने, सुनने और फिर आदेश देने की प्रक्रिया है. ये प्रक्रिया श्रेया सिंघल जजमेंट से आई है और ब्लॉकिंग की सभी वजहों पर लागू होती है. इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा भी शामिल है. डेटा सिक्योरिटी और नागरिकों की निजता पर चिंता वैध है. ये रेगुलेटरी प्रक्रिया से भी किया जा सकता है. बैन शुद्ध रूप से प्रतिबंध होते हैं. इन्हें फाइन और निर्देश जैसे रेगुलेटरी हस्तक्षेप के बाद ही इस्तेमाल में लाया जाना चाहिए. इनमें से कई कदम डेटा प्रोटेक्शन लॉ पर निर्भर करते हैं और जो अभी बनना बाकी है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×