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NSG में न सही, MTCR की सदस्यता में मिली भारत को कामयाबी

MTCR की सदस्यता रूस के साथ भारत के मिसाइल तकनीक संबंध बढ़ाने में सहायक होगी. 

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भारत
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भारत अब मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम (एमटीसीआर) में पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल हो गया.

विदेश सचिव एस. जयशंकर ने फ्रांस के राजदूत एलेग्जेंडर जीगलर, नीदरलैंड के राजदूत एल्फोनस स्टोलिंगा और लग्जमबर्ग के प्रभारी एफेयर्स लॉरे हुबर्टी की मौजूदगी में मेंबरशिप फॉर्म पर हस्ताक्षर किए. विदेश मंत्रालय के मुताबिक,

भारत आज सुबह एमटीसीआर में शामिल हो गया. भारत का प्रवेश अंतरराष्ट्रीय अप्रसार के लक्ष्यों को आगे बढाने में लाभकारी होगा. भारत अपनी सदस्यता का समर्थन करने वाले एमटीसीआर के सदस्यों में प्रत्येक को धन्यवाद देना चाहेगा. हम एमटीसीआर के सहअध्यक्षों- नीदरलैंड के राजदूत पीटर डी क्लेर्क और लग्जमबर्ग के रॉबर्ट स्टीनमेट्ज का भी शुक्रिया अदा करना चाहेंगे.
विदेश मंत्रालय का बयान 

चीन नहीं है एमटीसीआर का सदस्य

खास बात यह है कि चीन अभी भी एमटीसीआर का सदस्य बनने का इंतजार कर रहा है. अमेरिका के साथ परमाणु संधि के बाद से ही भारत एनएसजी, एमटीसीआर, द ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और वासेनार अरेंजमेंट जैसे संगठनों की सदस्यता की कोशिश कर रहा है.

ये संगठन परमाणु, जैविक व रासायनिक हथियारों की तकनीकों को एक तरह से रेगुलेट करते हैं.

भारत एमटीसीआर का 35 वां सदस्य बना है

एमटीसीआर का उद्देश्य ड्रोन, रॉकेट तकनीकों और कम से कम 300 किलोमीटर तक 500 किलो वजन का लोड ले जा सकने वाली मिसाइल प्रणालियों के प्रसार को दुनिया में रोकना है.

एमटीसीआर की सदस्यता अब भारत को उच्चस्तरीय मिसाइल तकनीक खरीदने और रूस के साथ अपने मिसाइल प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने में मदद करेगी.

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