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'India, जो भारत है': आजादी के बाद संविधान सभा में एक देश-दो नाम पर क्या बहस हुई थी?

क्या इंडिया और भारत को एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग करना संवैधानिक रूप से वैध है?

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भारत
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"नाम में क्या रखा है? जिसे हम गुलाब कहते हैं, किसी भी अन्य नाम से उसकी खुशबू उतनी ही अच्छी होगी..."

ये प्रसिद्ध अंग्रेजी नाटककार विलियम शेक्सपियर के नाटक Romeo and Juliet में कहे गए शब्द हैं. शेक्सपियर के गुजरने के सैकड़ों साल बाद, देश शायद यही सवाल कर रहा है- यह सब हो रहा देश का आधिकारिक नाम 'इंडिया' से 'भारत' करने की अटकलों के बीच.

संसद के विशेष सत्र से बमुश्किल दो हफ्ते पहले, मंगलवार, 5 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से भारत के जी20 शिखर सम्मेलन के डिनर के लिए 'President of India' के बजाय "President of Bharat" लिखकर न्योता भेजे जाने के बाद राजनीतिक विवाद पैदा हो गया.

नाम में क्या रखा है? द क्विंट ने दोनों नामों की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए इतिहासकारों और वकीलों से बात की. संविधान सभा की बहसें क्या दिखाती हैं और कैसे नाम-परिवर्तन विवाद एक गंभीर मुद्दा रहा है? इस सभी सवालों का जवाब देते हैं.

'India, जो भारत है': आजादी के बाद संविधान सभा में एक देश-दो नाम पर क्या बहस हुई थी?

  1. 1. भारत और इंडिया: दोनों के पीछे का इतिहास क्या है?

    दिल्ली के एक इतिहास के प्रोफेसर ने नाम ना छापने की शर्त पर द क्विंट से बात करते हुए कहा कि "भारत," "भारतवर्ष" और "भरत" शब्दों का पता पौराणिक साहित्य और महाकाव्य महाभारत से लगाया जा सकता है.

    इनमें से सबसे पुराना शब्द 'भारत' है, जो पुराणों से जुड़ा एक संस्कृत शब्द है, जो इसे कम से कम 2000 साल पुराना बनाता है. इसकी उत्पत्ति ऋग्वेद में शामिल भरत जनजाति से हुई थी.

    इतिहास के प्रोफेसर ने कहा कि पुराणों में जमीन के समूहों की परिकल्पना की गई है, जिस पर मनुष्य रहते हैं...जिसे जम्बूद्वीप कहा जाता है. भारतवर्ष के लोगों को जम्बूद्वीप का हिस्सा कहा जाता है.

    देश को दिया गया दूसरा स्थानीय भाषा का नाम 'हिंदुस्तान' था. यह शब्द एक उपनाम (किसी भौगोलिक स्थान का बाहरी नाम) के रूप में शुरू हुआ और यह एक फारसी शब्द है.

    इतिहास के प्रोफेसर ने बताया कि 'हिंदू' उस भूमि पर रहने वाले लोगों का फारसी नाम था, जबकि संस्कृत में इसका मूल 'सिंधु' के समान है.

    कल्चरल एक्टिविस्ट और लिंग्विस्टिक प्रोफेसर गणेश नारायणदास देवी ने द क्विंट को बताया कि यह पूरे देश को नहीं, बल्कि सिंधु घाटी के आसपास के इलाके को संदर्भित करता है और यह शब्द है- 'सिंध'

    डेवी ने कहा कि यूनानियों ने Achaemenids से 'हिंद' के बारे में जानकारी हासिल की और 'सिंधु' नाम को प्रयोग में लाना शुरू किया. यह नाम ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में मैसेडोनियन राजा अलेक्जेंडर द्वारा दिया गया था और 'भारत' की पहचान सिंधु से परे के क्षेत्र से की जाने लगी.
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  2. 2. 'धार्मिक' से अधिक 'सांस्कृतिक' प्रयोग है 'भारत'

    दोनों एक्सपर्ट्स ने बताया कि 'भारत' शब्द का अर्थ "धार्मिक" से ज्यादा "सांस्कृतिक" है. डेवी ने द क्विंट को बताया कि "जहां एक शब्द (भारत) का जन्म साहित्यिक परंपरा से हुआ था, वहीं दूसरे (इंडिया) का जन्म भौगोलिक संदर्भ से हुआ था.

    'इंडिया, जिसका मतलब भारत है...' एक देश, दो नाम' शीर्षक वाले अपने शोध पत्र में, सामाजिक वैज्ञानिक कैथरीन क्लेमेंटिन-ओझा ने बताया कि 'भारत' शब्द आम तौर पर एक "मौखिक प्रयोग" था, लेकिन इसके आधार पर शब्द के आधुनिक अर्थ में एक मानचित्र "संभव नहीं है."

    उन्नीसवीं सदी के मध्य तक शिक्षित हिंदू जिसे 'भारत' कहते थे, वह ब्रिटिश द्वारा 'इंडिया' नाम से मैप पर लिखा गया और संगठित किया गया क्षेत्र था.

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  3. 3. 'भारत' और 'इंडिया' शब्द संविधान में कैसे शामिल हुए?

    18 सितंबर 1949 को संविधान सभा की चर्चा के दौरान, डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अनुच्छेद 1 में एक संशोधन पेश किया, जिसमें कहा गया, "इंडिया यानी भारत, राज्यों का एक संघ होगा." हालांकि, सदन में अलग-अलग मत थे, जिनमें से ज्यादातर 'भारत' के समर्थन में थे, लेकिन 'इंडिया' के बारे में संदेह था, जिसे उन्होंने औपनिवेशिक अतीत के रिमाइंडर के रूप में देखा.

    संयोग से 18 सितंबर 2023 को ही संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है.

    आज, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है कि "भारत अथार्त इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा." इसका मतलब यह है कि संविधान 'इंडिया' और 'भारत' दोनों को देश के ऑफिशियल नामों के रूप में मान्यता देता है.

    अनुच्छेद 1 के अलावा, अंग्रेजी में तैयार किए गए संविधान के किसी अन्य प्रावधान में "भारत" के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.

    दोनों विशेषज्ञों ने द क्विंट को बताया कि पिछले कुछ सालों में, "इंडिया" ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला नाम बन गया है, खासकर अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में, लेकिन हिंदी में "भारत" का इस्तेमाल जारी रहा. Reserve Bank of India और Indian Railways जैसे कई नामों के हिंदी रूपांतरण में पहले से ही "भारतीय" जुड़ा हुआ है.

    सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगड़े, द क्विंट से बात करते हुए कहते हैं कि

    जब संविधान बनाया गया था, तो इसका मतलब यह नहीं था कि 'इंडिया' और 'भारत' एक-दूसरे के विरोध में होंगे, या एक दूसरे को खत्म कर देंगे."
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  4. 4. क्या कोई इंडिया और भारत का परस्पर उपयोग कर सकता है?

    कांग्रेस ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 52 का उपयोग किया, जिसमें कहा गया है कि "भारत का एक राष्ट्रपति होगा," यह दावा करने के लिए कि "भारत" शब्द का उपयोग ऑफिशियल इनविटेशन्स में नहीं किया जा सकता है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की वकील उज्जयिनी चटर्जी ने द क्विंट को बताया कि दोनों शब्दों का इस्तेमाल परस्पर किया जा सकता है.

    उन्होंने कहा कि "'इंडिया, जो भारत है' फ्रेज में यह शामिल है कि और हम इसमें बारे में यह बता सकते हैं कि कोई भी इन शब्दों का परस्पर उपयोग कर सकता है, हालांकि यह ऐसा कुछ नहीं हो सकता है, जो हमने नहीं किया है. ऐसा कोई विशेष कानून नहीं है, जो किसी को भी 'भारत' शब्द का उपयोग करने से रोकता है.

    दिल्ली के वकील सौतिक बनर्जी ने कहा कि "President of Bharat" लिखकर इनविटेशन भेजने में कुछ भी गलत नहीं है लेकिन दिक्कत तब आती है, जब सरकार एक नाम से छुटकारा पाना चाहती है.

    सौतिक बनर्जी, द क्विंट से बात करते हुए आगे कहते हैं कि तथ्य यह है कि भारत और इंडिया शब्दों का इस्तेमाल एक दूसरे के स्थान पर किया जा सकता है, खासकर भारतीय संविधान के ऑफिशियल हिंदी संस्करण को देखते हुए. लेकिन समस्या तभी पैदा होती है, जब सरकार केवल एक नाम का उपयोग करना चाहती है, और एक विशेष नाम को संविधान से हटाना चाहती है.

    साल 2020 में भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने नाम बदलने की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया था.

    जस्टिस बोबडे ने कहा कि भारत और इंडिया, दोनों नाम संविधान में दिए गए हैं. संविधान में इंडिया को पहले से ही 'भारत' कहा गया है.

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  5. 5. वकीलों ने बताया- इंडिया का नाम बदलने के लिए क्या करना होगा?

    द क्विंट ने जिन तीन वकीलों से बात की, उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संवैधानिक संशोधन करके कोई भी देश का नाम बदल सकता है.

    संजय हेगड़े ने तर्क दिया कि अगर आप संविधान से 'इंडिया' को हटाना चाहते हैं और उसकी जगह 'भारत' करना चाहते हैं, तो आपको संवैधानिक संशोधन की प्रक्रिया से गुजरना होगा.

    उज्जयिनी ने कहा कि संवैधानिक संशोधन करने के लिए पहले संसद में एक विधेयक पेश करना होगा और दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में कम से कम दो तिहाई सदस्यों को बदलाव को अप्रूव करना होगा.

    उन्होंने कहा कि यह तभी होगा, जब विधेयक पेश किया जाएगा, हम केवल अटकलों और अफवाहों के बारे में बात कर रहे हैं.

    (हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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भारत और इंडिया: दोनों के पीछे का इतिहास क्या है?

दिल्ली के एक इतिहास के प्रोफेसर ने नाम ना छापने की शर्त पर द क्विंट से बात करते हुए कहा कि "भारत," "भारतवर्ष" और "भरत" शब्दों का पता पौराणिक साहित्य और महाकाव्य महाभारत से लगाया जा सकता है.

इनमें से सबसे पुराना शब्द 'भारत' है, जो पुराणों से जुड़ा एक संस्कृत शब्द है, जो इसे कम से कम 2000 साल पुराना बनाता है. इसकी उत्पत्ति ऋग्वेद में शामिल भरत जनजाति से हुई थी.

इतिहास के प्रोफेसर ने कहा कि पुराणों में जमीन के समूहों की परिकल्पना की गई है, जिस पर मनुष्य रहते हैं...जिसे जम्बूद्वीप कहा जाता है. भारतवर्ष के लोगों को जम्बूद्वीप का हिस्सा कहा जाता है.

देश को दिया गया दूसरा स्थानीय भाषा का नाम 'हिंदुस्तान' था. यह शब्द एक उपनाम (किसी भौगोलिक स्थान का बाहरी नाम) के रूप में शुरू हुआ और यह एक फारसी शब्द है.

इतिहास के प्रोफेसर ने बताया कि 'हिंदू' उस भूमि पर रहने वाले लोगों का फारसी नाम था, जबकि संस्कृत में इसका मूल 'सिंधु' के समान है.

कल्चरल एक्टिविस्ट और लिंग्विस्टिक प्रोफेसर गणेश नारायणदास देवी ने द क्विंट को बताया कि यह पूरे देश को नहीं, बल्कि सिंधु घाटी के आसपास के इलाके को संदर्भित करता है और यह शब्द है- 'सिंध'

डेवी ने कहा कि यूनानियों ने Achaemenids से 'हिंद' के बारे में जानकारी हासिल की और 'सिंधु' नाम को प्रयोग में लाना शुरू किया. यह नाम ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में मैसेडोनियन राजा अलेक्जेंडर द्वारा दिया गया था और 'भारत' की पहचान सिंधु से परे के क्षेत्र से की जाने लगी.
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'धार्मिक' से अधिक 'सांस्कृतिक' प्रयोग है 'भारत'

दोनों एक्सपर्ट्स ने बताया कि 'भारत' शब्द का अर्थ "धार्मिक" से ज्यादा "सांस्कृतिक" है. डेवी ने द क्विंट को बताया कि "जहां एक शब्द (भारत) का जन्म साहित्यिक परंपरा से हुआ था, वहीं दूसरे (इंडिया) का जन्म भौगोलिक संदर्भ से हुआ था.

'इंडिया, जिसका मतलब भारत है...' एक देश, दो नाम' शीर्षक वाले अपने शोध पत्र में, सामाजिक वैज्ञानिक कैथरीन क्लेमेंटिन-ओझा ने बताया कि 'भारत' शब्द आम तौर पर एक "मौखिक प्रयोग" था, लेकिन इसके आधार पर शब्द के आधुनिक अर्थ में एक मानचित्र "संभव नहीं है."

उन्नीसवीं सदी के मध्य तक शिक्षित हिंदू जिसे 'भारत' कहते थे, वह ब्रिटिश द्वारा 'इंडिया' नाम से मैप पर लिखा गया और संगठित किया गया क्षेत्र था.

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'भारत' और 'इंडिया' शब्द संविधान में कैसे शामिल हुए?

18 सितंबर 1949 को संविधान सभा की चर्चा के दौरान, डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अनुच्छेद 1 में एक संशोधन पेश किया, जिसमें कहा गया, "इंडिया यानी भारत, राज्यों का एक संघ होगा." हालांकि, सदन में अलग-अलग मत थे, जिनमें से ज्यादातर 'भारत' के समर्थन में थे, लेकिन 'इंडिया' के बारे में संदेह था, जिसे उन्होंने औपनिवेशिक अतीत के रिमाइंडर के रूप में देखा.

संयोग से 18 सितंबर 2023 को ही संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है.

आज, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है कि "भारत अथार्त इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा." इसका मतलब यह है कि संविधान 'इंडिया' और 'भारत' दोनों को देश के ऑफिशियल नामों के रूप में मान्यता देता है.

अनुच्छेद 1 के अलावा, अंग्रेजी में तैयार किए गए संविधान के किसी अन्य प्रावधान में "भारत" के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.

दोनों विशेषज्ञों ने द क्विंट को बताया कि पिछले कुछ सालों में, "इंडिया" ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला नाम बन गया है, खासकर अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में, लेकिन हिंदी में "भारत" का इस्तेमाल जारी रहा. Reserve Bank of India और Indian Railways जैसे कई नामों के हिंदी रूपांतरण में पहले से ही "भारतीय" जुड़ा हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगड़े, द क्विंट से बात करते हुए कहते हैं कि

जब संविधान बनाया गया था, तो इसका मतलब यह नहीं था कि 'इंडिया' और 'भारत' एक-दूसरे के विरोध में होंगे, या एक दूसरे को खत्म कर देंगे."
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क्या कोई इंडिया और भारत का परस्पर उपयोग कर सकता है?

कांग्रेस ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 52 का उपयोग किया, जिसमें कहा गया है कि "भारत का एक राष्ट्रपति होगा," यह दावा करने के लिए कि "भारत" शब्द का उपयोग ऑफिशियल इनविटेशन्स में नहीं किया जा सकता है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की वकील उज्जयिनी चटर्जी ने द क्विंट को बताया कि दोनों शब्दों का इस्तेमाल परस्पर किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि "'इंडिया, जो भारत है' फ्रेज में यह शामिल है कि और हम इसमें बारे में यह बता सकते हैं कि कोई भी इन शब्दों का परस्पर उपयोग कर सकता है, हालांकि यह ऐसा कुछ नहीं हो सकता है, जो हमने नहीं किया है. ऐसा कोई विशेष कानून नहीं है, जो किसी को भी 'भारत' शब्द का उपयोग करने से रोकता है.

दिल्ली के वकील सौतिक बनर्जी ने कहा कि "President of Bharat" लिखकर इनविटेशन भेजने में कुछ भी गलत नहीं है लेकिन दिक्कत तब आती है, जब सरकार एक नाम से छुटकारा पाना चाहती है.

सौतिक बनर्जी, द क्विंट से बात करते हुए आगे कहते हैं कि तथ्य यह है कि भारत और इंडिया शब्दों का इस्तेमाल एक दूसरे के स्थान पर किया जा सकता है, खासकर भारतीय संविधान के ऑफिशियल हिंदी संस्करण को देखते हुए. लेकिन समस्या तभी पैदा होती है, जब सरकार केवल एक नाम का उपयोग करना चाहती है, और एक विशेष नाम को संविधान से हटाना चाहती है.

साल 2020 में भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने नाम बदलने की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया था.

जस्टिस बोबडे ने कहा कि भारत और इंडिया, दोनों नाम संविधान में दिए गए हैं. संविधान में इंडिया को पहले से ही 'भारत' कहा गया है.

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द क्विंट ने जिन तीन वकीलों से बात की, उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संवैधानिक संशोधन करके कोई भी देश का नाम बदल सकता है.

संजय हेगड़े ने तर्क दिया कि अगर आप संविधान से 'इंडिया' को हटाना चाहते हैं और उसकी जगह 'भारत' करना चाहते हैं, तो आपको संवैधानिक संशोधन की प्रक्रिया से गुजरना होगा.

उज्जयिनी ने कहा कि संवैधानिक संशोधन करने के लिए पहले संसद में एक विधेयक पेश करना होगा और दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में कम से कम दो तिहाई सदस्यों को बदलाव को अप्रूव करना होगा.

उन्होंने कहा कि यह तभी होगा, जब विधेयक पेश किया जाएगा, हम केवल अटकलों और अफवाहों के बारे में बात कर रहे हैं.

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