ADVERTISEMENTREMOVE AD

गलवान: डोभाल से बात के बाद चीन के बयान पर एक्सपर्ट्स ने उठाए सवाल

भारत-चीन के बीच सैनिकों के पीछे हटने को लेकर हुआ समझौता

Updated
भारत
3 min read
छोटा
मध्यम
बड़ा

भारत और चीन ने सीमा तनाव को कम करने की दिशा में पहला कदम उठाया है. हालांकि, दोनों देशों की तरफ से जारी आधिकारिक बयान को ध्यान से पढ़ने पर कई सवाल खड़े होते हैं.

चीनी विदेश मंत्री वांग यी, जो चीन-भारत बाउंड्री क्वेश्चन पर चीनी प्रतिनिधि भी हैं, ने कहा कि वो “भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ सीमा की स्थिति को आसान बनाने पर सकारात्मक समझौते पर पहुंचे हैं.” अपने बयान में, चीन ने मौजूदा स्थिति को आसान बनाने पर गंभीर चर्चा की बात कही. दोनों बयानों- विदेश मंत्रालय और चीन में- सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के महत्व के बारे में बात की गई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक्सपर्ट्स ने भारत और चीन के बयान में अंतर को लेकर चिंता जाहिर की है.

भारत और चीन के बयान में भाषा का अंतर

सामरिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने दो ऐसे उदाहरण दिए, जहां चीन के बयान से भारत का बयान गायब था.

उन्होंने लिखा, “चीन के बयान से भारत का ये दावा गायब है कि दोनों पक्ष ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का कड़ाई से पालन’ करने पर सहमत हुए हैं और ‘स्थिति को बदलने के लिए कोई एकतरफा कार्रवाई नहीं करेंगे. भारत की तरफ से जो ‘डी-एस्केलेशन’, ‘earliest’, "expeditiously टर्म इस्तेमाल किए गए हैं, ऐसे शब्द चीन के बयान में नहीं मिलते. केवल “पीछे हटने” शब्द का इस्तेमाल चीन द्वारा जारी किए गए बयान में किया गया था, और वो भी आखिरी लाइन में बयान “ disengagement of frontline troops as early as possible” के साथ खत्म किया गया.

ब्रह्मा चेलानी ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा, “LAC के भारत की तरफ में ‘बफर जोन’ से सहमत होकर और, गलवान और श्योक नदियों के संगम के पश्चिम में भारतीय पैट्रोलिंग को प्रतिबंधित कर, भारत गलवान घाटी से बाहर रहेगा, इससे चीन के पूरी गलवान घाटी पर ताजा दावे को बल मिलेगा. इसके भारत के पक्ष में होने की संभावना कम है.”

‘पीछे हटना काफी नहीं’

चीन में पूर्व राजदूत और डायरेक्टर ऑफ इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज, अशोक कांता ने द हिंदू से कहा, “डोकलाम में हमारे लिए सीख ये है कि LAC पर तनाव को खत्म करने के लिए पीछे हटना काफी नहीं है. ये जरूरी है कि हम बताएं कि कहां तक सैनिकों का पीछे हटना जरूरी है और यथास्थिति की बहाली के बिना कोई समझौता नहीं होना चाहिए.” भारत को क्यों ‘क्विक फिक्स’ का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए, इस बारे में बात करते हुए, उन्होंने जोर देकर कहा कि सिर्फ पीछे हटना काफी नहीं था.

द हिंदू में, सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सैटेलाइट तस्वीरें और ग्राउंड रिपोर्ट्स बताती हैं कि पीएलए सैनिकों ने डोकलाम में डिसएंगेजमेंट के कुछ महीनों में ही कंस्ट्रक्शन का काम शुरू कर दिया है.

द हिंदू ने रिपोर्ट में कहा है, “सूत्रों ने कहा कि पीएलए ने भूटान के साथ विवादित क्षेत्र के अंदर दो डामर सड़कें बनाई हैं, जो पूर्व और दक्षिण में दो चीनी सड़कों का विस्तार हैं.”

भारत की ओर उंगली कर कह रहा चीन- अपने नए क्षेत्र की रक्षा करेगा

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन का बयान पूरे मुद्दे के लिए भारत पर उंगली उठा रहा है. अपने बयान में चीन इस बात का जिक्र नहीं कर रहा है कि पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) ने पहले मई में एक सैनिक योजना शुरू की थी.

चीन ने बयान में कहा है, “चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में गलवान घाटी में हाल ही में जो हुआ, उसका सही और गलत होना स्पष्ट है. चीन अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता के साथ-साथ सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए मजबूती से काम करता रहेगा.”

कोई फिक्स टाइमलाइन नहीं

लेह स्थित 14 कॉर्प्स के पूर्व जनरल ऑफिसर, लेफ्टिनेंट जनरल राकेश शर्मा ने बयानों में कोई भी फिक्स टाइम नहीं होने की बात पर गौर किया. इंडिया टुडे से शर्मा ने कहा, “दोनों बयानों में टाइमलाइन को लेकर ‘जल्द से जल्द’ ही एक इशारा मिलता है. दोनों बयानों में एक फिक्स टाइमलाइन नहीं है, जो कि काफी नकारात्मक बात है.”

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×