भारत और चीन के बीच काफी समय से सीमा विवाद जारी है. दोनों देश LAC पर तनाव कम करने को लेकर बातचीत कर रहे हैं. लेकिन कोई फैसला नहीं हो पाया है. भारत और चीन के मिलिट्री कमांडर कई दौर की बातचीत कर चुके हैं. ये मुलाकातें LAC पर डिसएंगेजमेंट कराने के लिए हो रही हैं. अब 21 सितंबर को फिर भारत और चीन के बीच कॉर्प्स कमांडर-स्तर की बातचीत होगी.
सूत्रों के मुताबिक, ये बातचीत पूर्वी लद्दाख में चुशुल/मोल्डो बैठक पॉइंट पर होगी. ये इस तरह की छठी बातचीत है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट का कहना है कि भारतीय डेलिगेशन में विदेश मंत्रालय का भी एक अधिकारी शामिल होगा. अगर ऐसा होता है तो ये पहली बार होगा जब मिलिट्री कमांडरों की बैठक में विदेश मंत्रालय का कोई अधिकारी मौजूद रहेगा.
मिलिट्री बातचीत का एजेंडा तय हुआ
18 सितंबर को चीन पर एक उच्च-स्तरीय पैनल ने लद्दाख सेक्टर की स्थिति की समीक्षा की थी. लद्दाख में भारत और चीन के बीच मई से ही तनाव जारी है. जून में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद ये तनाव और बढ़ गया है.
इस पैनल की बैठक में अगली मिलिट्री बातचीत का एजेंडा तय किया गया था. इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख एमएम नरवणे और कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.
भारत ने छह मुख्य चोटियों पर कब्जा किया
पिछली पांच मिलिट्री बातचीत बेनतीजा रही थीं. सीमा पर तनाव कम नहीं हो पाया और इस बीच पैंगोंग सो के दक्षिणी तट पर चीन के हरकत करने की खबर भी आई थी. चीन ने इस जगह पहले कभी कार्रवाई नहीं की थी. हालांकि, भारतीय सेना ने चीन की कोशिश को नाकाम कर दिया था.
21 सितंबर को होने वाली बातचीत इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछली बातचीत से लेकर अब तक भारत ने लद्दाख में कई अहम चोटियों पर कब्जा कर लिया है. पिछले तीन हफ्तों में सेना ने छह अहम चोटियों को अपने कब्जे में ले लिया है.
टॉप सरकारी सूत्रों ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि कुछ चोटियां ऐसी हैं, जहां से भारतीय सेना के निशाने पर फिंगर 4 के पास मौजूद चीनी सैनिक हैं.
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