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डोकलाम विवाद सुलझने को किस तरह देखते हैं दुनिया के ये मीडिया हाउस?

डोकलाम पर कुछ सवाल हैं, जो शायद हर एक के मन में हैं. इन्हीं सवालों के जवाब विदेशी मीडिया हाउस भी ढूंढते नजर आए

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भारत-चीन के बीच पिछले करीब ढाई महीने से चल रहा डोकलाम विवाद फिलहाल 'सुलझता' नजर आ रहा है. सोमवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रालय ने अपना-अपना बयान जारी किया.

दुनिया के दो सबसे बड़ी आबादी और परमाणु शक्ति वाले देश भारत-चीन के बीच का ये विवाद पूरी दुनिया की नजर में था. ऐसे में जानते हैं कि विदेशी मीडिया इसके बारे में क्या सोचता है. डोकलाम पर अब भी कुछ सवाल हैं, जो शायद हर एक के मन में हैं. इन्हीं सवालों के जवाब कुछ विदेशी मीडिया हाउस भी ढूंढते नजर आए:

  • क्या डोकलाम पर विवाद पूरी तरह खत्म हो गया है?
  • अगर हां, तो इसकी वजह क्या रही?
  • ब्रिक्स देशों की मीटिंग का इस विवाद को सुलझाने पर कितना असर पड़ा?
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न्यूयॉर्क टाइम्स वेबसाइट:

न्यूयॉर्क टाइम्स वेबसाइट में छपी रिपोर्ट कहती है कि सोमवार को दोनों देशों ने डोकलाम पर टकराव से पीछे हटने पर सहमति जताई है, जिससे दुनिया के दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों के बीच तनाव कम हो गया है.

वेबसाइट कहती है कि ये दुनिया के दो सबसे आबादी वाले देशों के बीच 30 साल में हुआ सबसे बड़ा विवाद था. इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन भी भारत के साथ समझौता करने में दिलचस्पी दिखा रहा था, इसके बावजूद अब भी वो विवादित क्षेत्र पर अपना दावा जता रहा है.

वेबसाइट में एक्‍सपर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत ने शुरुआत में तो अपने सैनिक उस इलाके में भेज दिए. लेकिन बाद में उसे महसूस हुआ कि ये आर्थिक और सैन्य नजरिए से काफी जटिल मामला है.

वहीं चीनी मीडिया इसे जीत के रूप मे देख रहा है और ये भी कह रहा है कि चीन अब वैश्विक मामलों को संभालने में एक 'जिम्‍मेदार बड़े देश' के तौर पर काम रहा है. अखबार के मुताबिक, ये विवाद का स्थाई समाधान नहीं है और भविष्य में ऐसा गतिरोध देखने को मिल सकता है. हालांकि, दोनों देशों ने गतिरोध को दूर करने के लिए फिलहाल तो रास्ता ढूंढ लिया है.

वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट ये भी कहती है कि अगले हफ्ते भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के दौर पर जा रहे हैं. ऐसे में दोनों देशों के अधिकारियों पर एक दबाव भी था कि उनके आने के पहले ये मामला शांत हो सके.

वाशिंगटन पोस्ट वेबसाइट:

वाशिंगटन पोस्ट में छपी रिपोर्ट कहती है कि दोनों देशों के बयान से ये साफ नहीं हो सका है कि क्या भारतीय सैनिकों के वापस जाने के एवज में चीन ने क्या कुछ रियायत दी है? जैसे कि सड़क के निर्माण को रोकने के लिए सहमति? क्योंकि चीन ने अब भी ये कहा है कि वो उस इलाके में पेट्रोलिंग जारी रखेगा.

अखबार में NDTV के सूत्रों का हवाला दिया गया है कि भारत की मांग पूरी हो चुकी है, चीन के बुल्डोजरों को हटा दिया गया है.

रिपोर्ट में ये कहा गया है कि ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका के बीच होने वाली ब्रिक्स देशों की मीटिंग से पहले चीन भी इस विवाद को सुलझाना चाह रहा था.

शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में भारतीय मामलों के एक्सपर्ट वांग देहुआ ने वाशिंगटन पोस्ट से कहा कि नरेंद्र मोदी के शिखर सम्मेलन के लिए चीन भारत की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने की कोशिश करेगा, लेकिन आगे वो सीमा क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण जारी रखेंगे.
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अल-जजीरा:

अल-जजीरा भी इस बात से सहमत नजर आता है कि BRICS देशों की चीन में होने वाली मीटिंग का डोकलाम गतिरोध पर सकारात्मक असर पड़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस वक्त के लिए तो ये गतिरोध खत्म हो चुका है.

वहीं रिपोर्ट में चीन के उस दावे को भी प्रमुखता से जगह दी गई है, जिसमें चीन ने कहा है कि वो ऐतिहासिक सीमा के नियमों के मुताबिक क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा करने के लिए चीन सार्वभौमिक अधिकारों का इस्तेमाल जारी रखेगा.

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