भारत और चीन (India-China Face off) के सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को तवांग क्षेत्र में हुई झड़प पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने लोकसभा में बयान दिया. उन्होंने कहा, भारत के किसी भी सैनिक को कोई गंभीर चोट नहीं आई है और न ही किसी की मृत्यु हुई है.
गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि भारत की एक इंच जमीन पर भी कोई अतिक्रमण नहीं कर सकता. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी. हालांकि, जैसे ही राजनाथ सिंह का बयान खत्म हुआ तो विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉक आउट कर दिया.
राजनाथ सिंह ने संसद में क्या कहा?
राजनाथ सिंह ने संसद में घटना की पूरी जानकारी देते हुए बताया कि 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में पीएलए के सैनिकों ने अतिक्रमण किया और यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया. इस प्रयास का हमारे सैनिकों ने दृढ़ तरीके से सामना किया. हमारे सैनिकों ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें अपनी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर किया.
'हमारी सेनाएं भौमिक अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध'
राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेनाएं हमारी भौमिक अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और इसके खिलाफ किसी भी प्रयास को रोकने के लिए सदैव तत्पर हैं.
उन्होंने सांसदों से समर्थन मांगते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि यह सदन हमारी सेनाओं की वीरता और साहस को एक स्वर से समर्थन देगा.
'घटना के बाद चीन से बात हुई'
राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि चीनी पक्ष को इस तरह के एक्शन के लिए मना किया गया और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कहा गया. इस मुद्दे को चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है. इस घटना के बाद क्षेत्र के स्थानीय कमांडर ने 11 दिसंबर 2022 को अपने चीनी समकक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग की और इस घटना पर बात की.
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई है और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है. झड़प में हाथापाई हुई. दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं हैं.
अमित शाह ने भी दिया बयान
इस झड़प पर गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपना बयान देते हुए कहा है कि "भारत के 1 इंच जमीन पर कोई भी कब्जा नहीं कर सकता है. हमारे जवानों ने 8 की रात को और 9 की सुबह को जो वीरता दिखाई है, मैं इसकी प्रशंसा करता हूं. सेना ने कुछ ही देर में घुसे हुए सभी लोगों को भगा दिया और हमारी भूमि की रक्षा की."
विपक्ष ने सरकार को घेरा
इस घटना पर विपक्ष नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. AIMIM प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी ने कहा कि चीन हमें गश्त नहीं करने दे रहा है, झड़पें हो रही हैं लेकिन मोदी सरकार चुप है.
झड़पें 9 दिसंबर को हुईं लेकिन संसद के चलने के बावजूद हमें 12 दिसंबर को इसके बारे में पता चला. यह पीएम मोदी का कमजोर राजनीतिक नेतृत्व है, वह चीन का नाम लेने से डरते हैं.असद्दुदीन ओवैसी, AIMIM प्रमुख
उन्होंने एक और ट्वीट करके सरकार पर निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा कि "हमारे 56 इंच के प्रधानमंत्री चीन का नाम लेने से इतना घबराते क्यों हैं?"
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं है कि तवांग पर चीन की नजरें हैं और हमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है.
इस विषय पर हर पार्टी, हर व्यक्ति हमारी सेना के साथ है. कल जो भी हुआ वो हमारी तरफ से एक संदेश है कि हम हमारे प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता के लिए हमारे बीच एकता है.शशि थरूर, कांग्रेस सांसद
इससे पहले विपक्ष के कई सांसदों ने सदन में स्थगन प्रस्ताव देकर इस मामले पर चर्चा की मांग की थी. लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, “संघर्ष दुर्भाग्यपूर्ण है. गलवान 2020 पूर्वी लद्दाख में था, ये त्वांग अरुणाचल प्रदेश में एकदम उत्तर पूर्व में है."
शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि, यहां देखने के लिए कुछ नहीं है. चीन के जमीन हड़पने का एक और दिन और भारत सरकार अपने चुनावी एजेंडे में व्यस्त है.
A) लाल आंख
B) इस चिंता को उठाने वाले सभी लोगों को एंटी नेशनल टैग
C) मुंह तोड़ जवाब मिलेगा
तहसीन पूनावाला ने भी इस घटना के बाद सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी सरकार ऐसे समय में राजनीति कर रही है जब हम सभी भारतीय एक शत्रुतापूर्ण चीन के खिलाफ एकजुट हो गए हैं. तवांग क्लैश पर ध्यान देने की जरूरत है न कि राजनीतिक कलह पर!
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