15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई खूनी झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए. देश अभी तक इस सदमे से उबर नहीं पाया है. गलवान में असल में क्या हुआ, कैसे हुआ और कहां हुआ, इन सभी सवालों के अभी तक जवाब नहीं मिले हैं.
ऑस्ट्रेलियाई स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टिट्यूट के नाथन रूसर के मई और जून के महीने की सैटेलाइट तस्वीरों के आकलन से पता चलता है कि बॉर्डर और झड़प की जगहों पर सैन्य बल जमा थे. हालांकि ये रिपोर्ट भारत के डिफेंस एनालिस्ट ने नकार दी है.
सैटेलाइट इमेजरी और उसके आकलन से गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और पैंगोंग सो विवादित इलाके की भी जानकारी मिलती है.
गलवान घाटी
रिपोर्ट में पहले गलवान घाटी पर फोकस किया गया है. सैटेलाइट इमेज में दिखता है कि चीन की सेना ने करीब 1000 सैनिकों को वहां तैनात किया था और घाटी में महत्वपूर्ण पोजीशन ली थीं.
"मई तक चीन की सेना की घाटी में कोई पोजीशन नहीं थी, जबकि चीन की तरफ कई किलोमीटर तक घाटी फैली है. हालांकि हाल ही में LAC के पास तैयार की गईं भारतीय पोजीशन और इन तक सप्लाई पहुंचाने के लिए बनाई गई रोड से ऐसा लगता है कि चीन ने घाटी में करीब 1000 सैनिकों की तैनाती कर दी."
LAC पर एक सैंडबैंक पेट्रॉल पॉइंट 14 की इमेजरी का आकलन ‘चीन के 50 से कुछ कम जवान और कुछ टेंट’ की मौजूदगी दिखाता है. चीन की सेना के रिजलाइन पोजीशन लेने का उद्देश्य हाल ही में पूरी की गई Darbuk–Shyok–Daulat Beg Oldie रोड और भारतीय मिलिट्री बेस पर नजर रखना है.
ये साफ तौर से बताता है कि क्यों भारतीय जवान इन पोजीशन को हटाने के लिए गए थे. इन्हें हटाने की बात 6 जून को कमांडर स्तर की बातचीत में भी तय हुई थी. ऐसा अनुमान है कि भारतीय जवान इन पोजीशन को हटा रहे थे जब चीन की सेना ने हमला कर दिया.
रिपोर्ट के मुताबिक, 16 जून की सैटेलाइट इमेजरी दिखाती है कि पिछले हफ्ते से भारत और चीन की फॉरवर्ड पोजीशन हटाई गई हैं.
इसमें ये भी पता चलता है कि भारत ने LAC से 50 मीटर अंदर की तरफ अस्थायी पोजीशन बनाई थीं. एनालिस्ट का मानना है कि ये मृतकों को इकट्ठा करने का पॉइंट हो सकता है. चीन की तरफ करीब 100 ट्रकों का एक समूह देखा जा सकता है.
हॉट स्प्रिंग्स एरिया
गलवान नदी घाटी के दक्षिण में हॉट स्प्रिंग्स एरिया है. इस इलाके की मई के आखिरी की सैटेलाइट इमेजरी भारत-नियंत्रित इलाके में 1 किलोमीटर तक का मिट्टी का रास्ता दिखाता है. एक और मिट्टी का रास्ता दिखता है जो भारत-नियंत्रित इलाके में 500 मीटर अंदर की तरफ क्रॉस करता है.
रिपोर्ट में कहा गया, “घुमावदार रास्ता ये बताता है कि शायद ये एक रेगुलर पेट्रोलिंग रूट हो सकता है. LAC पर भारत की तरफ चीन की सेना की कोई पोजीशन नहीं है, लेकिन ये रास्ता बताता है कि चीन की सेना लगातार भारतीय इलाके में घुसपैठ करती है. घुसपैठ की जगह LAC पर सबसे पास की भारतीय पोजीशन से 10 किमी दूर है.”
दूसरी तरफ भारत घाटी में एक स्थायी पोजीशन बना रहा है, जिससे LAC पर नजर रखी जा सके.
पैंगोंग सो
पैंगोंग सो में LAC की भारतीय समझ के मुताबिक, बॉर्डर फिंगर 8 पर है. लेकिन सैटेलाइट इमेजरी दिखाती है कि चीन की सेना LAC में अंदर फिंगर 4 तक आ गई है, जहां उसके ढांचे दिखते हैं.
रिपोर्ट बताती है कि चीन की सेना ने फिंगर 4 और 5 के बीच 500 ढांचे, फोर्टिफाइड ट्रेंच और नए बोट-शेड तैयार किए हैं, जो उनकी ओरिजिनल पोजीशन से काफी आगे हैं. कुछ और ढांचे अंडर-कंस्ट्रक्शन दिखते हैं.
डिफेंस एनालिस्ट ने रिपोर्ट को नकारा
डिफेंस एनालिस्ट ब्रह्म चेलानी ने इस रिपोर्ट को नकार दिया है. चेलानी ने ट्विटर पर लिखा, "ये आकलन पैंगोंग लेक को छोड़कर बड़े स्तर पर भ्रामक तरीके से बनाए गए मैप्स पर आधारित है. ये एक फिक्शनल LAC दिखाता है और गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग्स में चीन के एन्क्रोचमेंट को छुपाता है."
ट्विटर पर बहस में रिपोर्ट के लेखक ने चेलानी से कहा, "ये LAC असल में भारतीय सूत्रों (geographic data from India's Department of Environment) से आई है."
जवाब में चेलानी ने कहा, "मैप्स में अच्छे रंगों और झंडों से तथ्य नहीं बदलेंगे. ये मैप्स हाल में चीन के गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग में दावे को दिखाता है. भारत में कोई "Department of Environment" नहीं है. पर्यावरण वाले LAC का डेटा नहीं रखते.”
आलोचना के बाद भी ऑस्ट्रेलियाई स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टिट्यूट अपनी रिपोर्ट के साथ खड़ा है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)