"अगर कोरोना से संबंधित वर्तमान स्थिति में कोई सुधार नहीं आता है, तो आने वाले सप्ताहों में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या दोगुनी हो जाएगी". यह अनुमान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु के एक टीम ने लगाया है.
जून-जुलाई में स्थिति होगी और भयावह
पहले से ही जब लगातार 12 दिनों से कोरोना के तीन लाख से ज्यादा मामले आ रहे हैं और पिछले 24 घंटे में 3780 लोगों की मौत हुई है तब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ,बेंगलुरु के टीम ने एक 'मैथमेटिकल मॉडल' का प्रयोग करते हुए यह अनुमान लगाया है कि अगर हालात यही रहे तो 11 जून तक मरने वालों की संख्या 4,04,000 तक हो सकती है.
उनके अनुसार अगर सरकार 15 दिनों का लॉकडाउन लगाती है तो 11 जून तक मरने वाले लोगों की संख्या तीन लाख से कम रह सकती है जबकि 30 दिनों के लॉकडाउन से मरने वालों की संख्या को 285,000 तक रोका जा सकता है.
IHME:भारत में करोना से जाएगी जुलाई के अंत तक 10 लाख लोगों की जान
इसी तरह के एक मैथमेटिकल मॉडल का प्रयोग करते हुए यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन(IHME) ने दावा किया है कि जुलाई के अंत तक भारत 10,18,879 लोग कोरोना से जान गवा देंगे.
अगर भारत में सब लोग मास्क लगाएं(युनिवर्सल मास्क)तब जुलाई के अंत तक मरने वालों की संख्या को 940,000 तक रोका जा सकता है.
अगले 4-6 सप्ताह होंगे चुनौतीपूर्ण
ब्राउन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डीन आशीष झा ने कहा कि "आने वाले चार-छह हफ़्ते भारत के लिए बहुत कठिन होने वाले हैं. अब चुनौती यह होगी कि इस कठिन वक्त को 4 सप्ताह तक ही बांधकर रखा जाए, यह 6-8 सप्ताह तक ना खिंच जाए. भारत अभी किसी तरह से भी संकट से निकलता नहीं दिख रहा है."
WHO 5% से अधिक कोरोना टेस्ट पॉजिटिविटी रेट को बहुत ज्यादा मानता है और सरकार को तबतक सामाजिक दूरी सुनिश्चित करवाने का सुझाव देता है जबतक कि पॉजिटिविटी रेट लगातार 2 सप्ताह तक 5% के नीचे ना हो जाए.
लेकिन वर्तमान में पूरे भारत के स्तर पर पॉजिटिविटी रेट 20% है और कुछ क्षेत्रों में तो यह 40% तक.यह दर्शाता है कि हम अभी भी कुल संक्रमित लोगों के लगभग तीन चौथाई हिस्से की जांच नहीं कर रहे हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेंनेसोटा के सेंटर फॉर इन्फेक्शियस डिजीज रिसर्च एंड पॉलिसी के डायरेक्टर तथा अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के सलाहकार मिशेल ओस्टरहोल्म ने कहा कि "आखिरकार कोरोना की रफ़्तार को नीचे तो आना ही है,बस देखना है कि कब तक"
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