भारत के गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार, 21 दिसंबर को संसद के अंदर कहा कि मोदी सरकार के लिए ड्रग्स लेने वाले पीड़ित हैं, उनके असली निशाना ड्रग्स की तस्करी करने वाले हैं. कुछ ऐसी ही बात एक दिन पहले सदन में एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने की थी, जब उन्होंने ड्रग्स (Drugs) के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूली शिक्षा में इसे शामिल करने का सुझाव दिया था. यह तो सिक्के का एक पहलू है.
दूसरी तरफ की कहानी कुछ हद तक गृह मंत्री द्वारा संसद के पटल पर पेश किए गए आंकड़े बयान कर रहे थे. सरकार भले ही ड्रग्स का सेवन करने वालों को पीड़ित बता रही हो लेकिन कानून और उसको लागू करने वाली एजेंसियों के निशाने पर तस्करों से ज्यादा सेवन करने वाले रहे हैं. साथ ही जिस तरह नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो ने सुपरस्टार शाहरुख के बेटे आर्यन खान के मामले को हैंडल किया था क्या वह सरकार की इस पीड़ित मानने वाली कथित 'पॉलिसी' पर फिट बैठती है?
पहले बताते हैं कि आज लोकसभा में गृह मंत्री ने क्या कहा है.
लोकसभा में नशीली पदार्थों की समस्या पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि "सरकार के लिए ड्रग का सेवन करने वाले विक्टिम हैं, उनके प्रति सहानुभूति का रवैया होना चाहिए और उनके पुनर्वास की तैयारी करनी चाहिए. लेकिन जो ड्रग्स की तस्करी करते हैं, उसका व्यापार करते हैं, उसको छोड़ना नहीं चाहिए."
सेवन करने वाले पीड़ित हैं तो तस्करों-पेडलरों से ज्यादा उनकी गिरफ्तारी क्यों?
गृह मंत्री के इस बयान के इस बयान के बाद उनके ही द्वारा संसद में रखे गए कुछ आंकड़ों पर गौर कीजिए. गृह मंत्री के आंकड़े के अनुसार 2006-2013 तक 22.45 लाख किलो ड्रग्स पकड़े गए जबकि 2014 से 2022 के बीच यह बढ़कर 62.60 लाख किलो हो गया. यूनिट्स में बात करें तो 2006-2013 में 10 करोड़ यूनिट ड्रग पकड़े गए जबकि 2014-22 के बीच 24 करोड़ यूनिट ड्रग पकड़े गए हैं.
पकड़े गए ड्रग्स की कीमत बताते हुए गृह मंत्री ने जानकारी दी है कि 2006-2013 के बीच जब्त ड्रग्स की कीमत 23 हजार करोड़ रुपए की थी जबकि 2014-22 के बीच पकड़े गए ड्रग्स की कीमत बढ़कर 97 हजार करोड़ की हो गयी है.
अब सबसे अहम बात. 2006-2013 के बीच ड्रग्स से जुड़े 1,45,062 मामले दर्ज हुए थे जबकि 2014-22 के बीच 4,14,697 मामले दर्ज हुए हैं. 2006-2013 के बीच ड्रग्स से जुड़े मामले में कुल गिरफ्तारी 1,62,908 हुई थी जबकि 2014-22 के बीच अबतक 5,23,234 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. गृह मंत्री का कहना है कि 2014-22 के बीच 4,14,697 दर्ज मामलों में से 13 हजार मामले ड्रग्स के डीलर्स और तस्करी करने के आरोपियों के खिलाफ दर्ज किया गया है.
इसका मतलब है कि बाकी कुल केस में से लगभग 97% मामले या तो ड्रग्स के सेवन करने वालों के खिलाफ दर्ज किया गया है या फिर छोटी मात्रा में बेचने वालों के खिलाफ.
साथ ही गुजरात में बड़ी मात्रा में ड्रग्स जब्त होने का बचाव करते हुए शाह ने कहा कि "इसका मतलब यह नहीं है कि गुजरात नशीले पदार्थों का सबसे बड़ा स्रोत है. इससे पता चलता है कि राज्य ड्रग्स को जब्त करने में सबसे बेहतर है".
आर्यन खान पर NCB की कार्रवाई का क्या मतलब था?
अब आप याद कीजिए कैसे आज से करीब 14 महीने पहले शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने हैंडल किया था. 20 दिन जेल में गुजराने वाले आर्यन खान को NCB ने भले ही मई 2022 में पर्याप्त सबूत न होने के कारण सभी आरोपों से बरी कर दिया था, लेकिन उससे पहले उनका नाम खूब घसीटा गया.
याद रहे क्लीन चीट देने वाली NCB ने ही आर्यन पर रेग्यूलर ड्रग्स लेने, उसकी अवैध तस्करी और ड्रग्स की खरीद-वितरण में शामिल होने का आरोप लगाया था.
सवाल है कि क्या ड्रग लेने के आरोपी को भारत का मीडिया भी पीड़ित मानता है? भारत की मीडिया ने भले ही आर्यन खान को क्लीन चीट मिलने की खबर को हल्के में चलाया हो लेकिन अक्टूबर 2021 में उनकी गिरफ्तारी के आसपास "आर्यन खान के आई लेंस में ड्रग्स" और "नशे में डूबा बॉलीवुड" जैसी हैडलाइन के साथ खूब खबर चलाई गयी थी.
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