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आर्थिक सुस्ती का असर, देश में बिजली की मांग 13.2% तक गिरी

पिछले महीने महाराष्ट्र में बिजली की मांग 22.4 फीसदी और गुजरात में 18.8 फीसदी तक घटी है. 

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भारत में बिजली की मांग अक्टूबर महीने में पिछले साल की तुलना में 13.2% कम हुई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिजली की मांग में पिछले 12 सालों में यह मासिक गिरावट सबसे तेज है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत को बयां कर रहा है.

देश की अर्थव्यवस्था को विस्तार के लिए बिजली की जरूरत है, लेकिन बिजली की डिमांड में कमी भारत की औद्योगिक गतिविधियों को प्रभावित करेगी. बता दें, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2024 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की बनाने का लक्ष्य रखा है.

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उपभोक्ता मांग और सरकार का खर्च कम होने से जून तिमाही में जीडीपी दर पिछले 6 सालों में सबसे कम रही है और अर्थशास्त्री बिजली की मांग में कमी अर्थव्यवस्था के गहराते संकट के रूप में देख रहे हैं.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति ने कहा, "औद्योगिक क्षेत्र में आर्थिक सुस्ती गहराती जा रही है. जो इस साल विकास दर में निश्चित रूप से चिंता बढ़ाने वाली है."

डेटा के अनुसार, बड़े औद्योगिक राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात में मांग कम आई है. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) के मुताबिक, पिछले महीने महाराष्ट्र में बिजली की मांग 22.4 फीसदी और गुजरात में 18.8 फीसदी तक घटी है. 

इसके अनुसार, देश के उत्तर और पूर्व में 4 छोटे राज्यों को छोड़कर, सभी जगहों पर बिजली की मांग में कमी आई है.

सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन पिछले 14 सालों का सबसे कम, 5.2% पर रहा था, जिसने सरकार की चिंता में इजाफा किया था. पिछले कुछ महीने में कई कदम उठाने के बावजूद सरकार अर्थव्यवस्था में मांग को सुधार नहीं पाई है.

अर्थव्यवस्था का एक अहम सूचक, फ्यूल डिमांड की दर 6 सालों के सबसे निचले स्तर पर जाने वाला है.

अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि कंज्यूमर डिमांड और निवेश में कमी होने के कारण विकास दर 5.8% तक गिर सकती है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने पिछले महीने वित्त वर्ष 2019-20 के विकास दर अनुमान में 80 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर 6.1% कर दी थी.

हालांकि, सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपने विकास दर अनुमान 7% को रिवाइज नहीं किया है. इस महीने के अंत तक सरकार आर्थिक विकास पर डेटा जारी कर सकती है. बिजली की मांग पर जनवरी 2006 से पहले का डेटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है.

जीडीपी की विकास दर में लगातार चौथी तिमाही गिरावट दर्ज की गई थी. वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में जहां विकास दर 8 फीसदी था वहीं इस साल इसी तिमाही में घटकर 5 फीसदी हो गया था.

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