जापान और फ्रांस की तर्ज पर भारत में बन रहे पहले एलिवेटेड ट्रैक का काम पूरा हो चुका है. देश के पहले एलिवेटेड रेलवे ट्रैक पर पांच दिसंबर यानी आज से ट्रेन दौड़नी शुरू हो जाएंगी. हरियाणा के रोहतक में 5 रेलवे फाटकों से जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए एलिवेटेड ट्रैक का निर्माण किया गया है. रोहतक-गोहाना रेलवे लाइन पर एलिवेटेड ट्रैक के निर्माण पर 315 करोड़ रुपए की लागत आई है. इससे रोहतक शहर में भीड़-भाड़ से निजात दिलाने में मदद मिलेगी.
- 1838 में बना था दुनिया का पहला एलिवेटेड ट्रैक
- सड़क-पुल की तरह होता है एलिवेटेड ट्रैक
- 315 करोड़ रुपये की लागत से बना
- 4.8 किमी लंबा है एलिवेटेड ट्रैक
- 200 पिलर ट्रैक के लिए बनाए गए
- ओवरब्रिज से रेलवे स्टेशन तक 30 फीट चौड़ी और 6 किमी लंबी सड़क
- 400 फीट एरिया की वाहन पार्किंग
सुरेश प्रभु ने रखी थी नींव
रोहतक के लोग पांच रेलवे फाटकों की वजह से जाम की समस्या से लगातार जूझ रहे थे, जिसे देखते हुए हरियाणा की सत्ता में 2014 में विराजमान होने वाली बीजेपी ने इससे निजात दिलाने का वादा किया था. साथ ही रिहायशी कॉलोनियों को जोड़ने वाले 5 व्यस्त लेवल क्रॉसिंग को हटाकर सड़कों पर चलने वाले लोगों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए 2014 में बीजेपी ने रोहतक को एलिवेटेड रोड की सौगात सौगात दी, जिससे अत्यंत घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में सड़कों पर यातायात को सुगम बनाया जा सके.
- 2014 में बीजेपी ने एलिवेटेड रोड का वादा किया.
- 2016 में सुरेश प्रभु ने रखी थी नींव.
- 2018 में सीएम मनोहरलाल खट्टर ने निर्माण कार्य शुरू करवाया.
- करीब ढाई वर्ष में यह प्रोजेक्ट बनकर तैयार हुआ.
- 4 रेलवे क्रॉसिंग से मिलेगी निजात.
- बजरंग भवन रेलवे फाटक, सोनीपत रोड रेलवे फाटक, शीला बाइपास चौक और नया बस स्टैंड के बीच स्थित रेलवे फाटक खत्म हो जाएंगे.
- गांधी कैंप में आरई वॉल में 10 क्रॉसिंग छोड़ी गई हैं.
क्या होता है एलिवेटेड रेलवे ट्रैक?
एलिवेटेड रेलवे ट्रैक एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें रेलवे ट्रैक के लिए सड़क के ऊपर एक एलिवेटेड संरचना का इस्तेमाल किया जाता है. एलिवेटेड संरचना का इस्तेमाल रेलवे के ब्रॉड-गेज, स्टैंडर्ड-गेज या नैरो-गेज, लाइट रेल, मोनोरेल या एक सस्पेंशन रेलवे के लिए की जा सकती है. एलिवेटेड रेलवे ट्रैक आमतौर पर भीड़-भाड़ वाले इलाके या शहरी क्षेत्रों में बनाए जाते हैं. साथ ही जहां कई रेलवे क्रॉसिंग्स, लंबे सड़क जामों के कारण दुर्घटनाएं होती है, वहां एलिवेटेड संरचना का इस्तेमाल किया जाता है.
- एलिवेटेड ट्रैक को किसी सड़क-पुल की तरह बनाया जाता है, जिस पर ट्रेन चलती है.
- इससे सड़क जाम की समस्या खत्म होती है.
- सड़क दुर्घटना और रेल दुर्घटना पर काबू पाया जा सकता है.
- एक साथ कई रेलवे क्रॉसिंग्स पर रेलवे ट्रैफिक की समस्या खत्म होती है.
- एलिवेटेड संरचना के लिए भूमि अधिग्रहण करने की जरूरत नहीं होती.
- एलिवेटेड रेलवे ट्रैक सुरक्षित और बाधारहित है.
दुनिया का सबसे पहला एलिवेटेड रेलवे ट्रैक लंदन और ग्रीनविच के बीच 1836 और 1838 के बीच बनाया गया था. इसके साथ ही साल 1840 के दौरान लंदन में कई और एलिवेटेड रेलवे बनाने की योजना थीं, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया. तो वहीं साल 1860 के आस-पास अमेरिकी शहरों में एलिवेटेड रेलवे लोकप्रिय हुआ. 1868 से 1870 के बीच न्यूयॉर्क वेस्ट साइड और योंकर्स पेटेंट रेलवे ने इसे अपनाया. इसके बाद 1875 में मैनहैटन रेलवे, 1892 में शिकागो के साउथ साइड एलिवेटेड रेलमार्ग का निर्माण हुआ, तो वहीं 1901 में बॉस्टन एलिवेटेड रेल ट्रैक का निर्माण किया गया.
पहली इलेक्ट्रिक एलिवेटेड रेलवे लीवरपूल ओवरहेड रेलवे थी, जो 1893 से 1956 तक लिवरपूल डॉक्स के माध्यम से संचालित होती थी. लंदन में, डॉकलैंड लाइट रेलवे एक आधुनिक एलिवेटेड रेलवे है, जो 1987 में खोला गया था और तब से इसका विस्तार जारी है. ये ट्रेनें चालक रहित और स्वचालित हैं. एक और आधुनिक एलिवेटेड रेलवे टोक्यो की चालक रहित यूरीकम लाइन है, जिसे 1995 में खोला गया था.
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