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आजादी!
अपने आप में एक किताब है.
वो किताब है, जिसमें उन सारी चीजों का जिक्र है,
जिसका उपयोग आज के लोग कर ही नहीं पा रहे हैं.
आजादी के सही मायने तब निकलेंगे.
जब किसी महिला को रात के अंधेरे में,
अकेले निकलने में डर नहीं लगेगा.
कोई क्या खायेगा.
क्या पहनेगा.
क्या पढ़ेगा.
क्या बोलेगा.
जब इन सब चीजों में किसी और की भागीदारी नहीं होगी.
सही मायने में तब लोग आजाद रहेंगे!
Raza’s ‘Bol’
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