India-Maldives: 18 जनवरी यानी गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर से मुलाकात की. इस दौरान दोनों विदेश मंत्री ने भारत-मालदीव के संबंधों पर स्पष्ट बातचीत की. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के 15 मार्च तक भारतीय सैनिको को देश छोड़ देने के लिए कहा था, जिसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव पैदा हो गया है.
एस जयशंकर ने जमीर के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए सोशल मीडिया 'X' पर एक पोस्ट में कहा...
"आज कंपाला में मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर से मुलाकात की. भारत-मालदीव संबंधों पर एक स्पष्ट बातचीत हुई. NAM (गुटनिरपेक्ष आंदोलन) से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की.''
दोनों की मुलाकात युगांडा की राजधानी कंपाला में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की एक मंत्रिस्तरीय बैठक के मौके पर हुई.
इस मुलाकात को लेकर मालदीव के विदेश मंत्री ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा...
"हमने भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी के साथ-साथ मालदीव में चल रही विकास परियोजनाओं को पूरा करने और SAARC और NAM के भीतर सहयोग पर चल रही उच्च स्तरीय चर्चा पर विचारों का आदान-प्रदान किया."
भारत-मालदीव के बीच विवाद क्यों हुआ?
इस साल के शुरूआत में पीएम मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया. पीएम मोदी वहां के बीच पर घूमे, कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, स्नॉर्कलिंग जैसी एक्टिविटी की, इससे जुड़े कई फोटो और वीडियो उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर किए. इन तस्वीरों को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई. पीएम ने लोगों से दूसरे देशों के बीचों पर जाने से पहले लक्षद्वीप आने की अपील की.
लोगों ने इसकी तुलना मालदीव से करना शुरू कर दिया. इन्हीं बहसों के बीच मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा और उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणियां पोस्ट की. जिसके बाद मोइज्जू सरकार ने मंत्रियों को निलंबित कर दिया और उनकी टिप्पणियों को व्यक्तिगत बताते हुए उससे खुद को दूर कर लिया.
इस टिप्पणी ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था, खासकर सोशल मीडिया पर. मालदीव के मंत्रियों की टिप्पणियों की भारतीय राजनेताओं और जनता द्वारा व्यापक रूप से आलोचना की गई थी. भारत ने नई दिल्ली में मालदीव के राजदूत को भी तलब किया था और इस मुद्दे पर सरकार ने नाराजगी जाहिर की थी.
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