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भारत बना Pharma Exports का गढ़, 8 साल में दवाओं का निर्यात 103% बढ़ा

दुनिया के 60% वैक्सीन, 20% जेनेरिक दवाएं भारत बनाता है

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भारत का दवा निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में 103 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 1,83,422 लाख करोड़ रुपये का हो गया।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2013-14 में देश का दवा निर्यात कुल 90,415 करोड़ रुपये का था। मंत्रालय का कहना है कि वैश्विक व्यापार बाधाओं के बावजूद दवा निर्यात में सकारात्मक वृद्धि जारी रही है और इस क्षेत्र में व्यापार संतुलन लगातार भारत के पक्ष में बना हुआ है

मंत्रालय का कहना है कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान किया गया निर्यात दवा क्षेत्र का अब तक का सर्वश्रेष्ठ निर्यात प्रदर्शन है। गत आठ साल में देश के दवा निर्यात में करीब दस अरब डॉलर का इजाफा हुआ है।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट के माध्यम से इस उपलब्धि को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्रिय नेतृत्व में भारत विश्व के दवाखाने के रूप में काम कर रहा है।

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान वैश्विक व्यापार बाधाओं तथा कोविड संबंधित दवाओं की मांग में कमी के बावजूद दवा निर्यात में तेजी जारी रही। गत वित्त वर्ष 15,175.81 मिलियन डॉलर के अधिशेष (सरप्लस) के साथ व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में बना रहा।

अपनी प्रतिस्पर्धात्मक कीमत तथा अच्छी गुणवत्ता के कारण भारतीय दवा कंपनियों ने वैश्विक पहचान बनाई है। दुनिया के 60 प्रतिशत टीके तथा 20 प्रतिशत जेनेरिक दवायें भारत में निर्मित होती हैं। अमेरिका के बाहर एफडीए स्वीकृत दवा संयंत्रों की सबसे बड़ी संख्या भारत में है।

भारत दवा निर्माण की मात्रा के हिसाब से दुनिया में तीसरे तथा मूल्य के लिहाज से विश्व में 14वें स्थान पर है। देश के दवा बाजार का आकार लगभग 50 बिलियन डॉलर है।

देश के निर्यात में दवा तथा औषधियों का हिस्सा 5.92 प्रतिशत है। कुल निर्यात में फॉमूर्लेशन तथा बायोलॉजिकल्स की 73.31 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जिसके बाद 4,437.64 मिलियन डॉलर के निर्यात के साथ बल्क ड्रग्स तथा ड्रग इंटरमीडिएट्स का स्थान आता है।

भारत मुख्य रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, रूस तथा नाईजीरिया को दवा निर्यात करता है।

--आईएएनएस

एकेएस/एसकेपी

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