भारत ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र में जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को आधिकारिक तौर पर स्वीकार कर लिया है. भारत ने ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते के दस्तावेज संयुक्त राष्ट्र को सौंप दिए हैं.
ऐसा करने वाला यह 62वां देश बन गया है. इस साल के अंत तक इसे अमल में लाए जाने की उम्मीद है.
संयुक्त राष्ट्र ने किया फैसले का स्वागत
भारत पिछले साल 2015 में कॉप-21 (कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज) में हुए समझौते में देर से शामिल होने वाले देशों में था. हालांकि, पीएम नरेंद्र मोदी ने पहले ही कह दिया था कि भारत पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने का औपचारिक ऐलान गांधी जयंती के दिन करेगा.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भारत के इस फैसले का स्वागत किया है.
तीसरा सबसे बड़ा कार्बन रिलीज करने वाला देश
दुनिया के 4.1 फीसदी कार्बन उत्सर्जन के लिए भारत जिम्मेदार है. अमेरिका और चीन के बाद यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन रिलीज करने वाला देश है.
पेरिस समझौते को स्वीकार करने का मतलब है, भारत को ग्रीनहाउस उत्सर्जन में कमी करने के लिए अपने सभी वादों को पूरा करना होगा. उन वादों में 25 गुना ज्यादा सोलर एनर्जी बढ़ाना और कई लाख पेड़ लगाना शामिल है.
भारत को 6 साल में सोलर एनर्जी पैदा करने की क्षमता 25 गुना तक बढ़ानी होगी.
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