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जाधव केस: बातचीत का 1-1 शब्द सुनना चाहता है पाक,भारत को मंजूर नहीं

17 जुलाई को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस से भारत को बड़ी जीत मिली थी

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भारत
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इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) के आदेश के 15 दिन बाद पाकिस्तान ने भारत को कुलभूषण जाधव के लिए काउंसलर एक्सेस का प्रस्ताव भेजा. लेकिन काउंसलर एक्सेस के साथ पाकिस्तान ने भारत के सामने कुछ शर्तें भी रख दी. भारत ने इन शर्तों पर आपत्ति जताई और काउंसलर एक्सेस के लिए किसी भी शर्त को मानने से इनकार कर दिया.

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टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान ने कांउसलर एक्सेस के लिए तीन शर्तें रखी हैं.

  1. भारतीय अफसरों का जाधव के साथ बातचीत के समय पाकिस्तान अफसरों की मौजूदगी
  2. जिस कमरे में बातचीत होगी, वहां सीसीटीवी कैमरे से निगरानी
  3. जाधव और भारतीय अफसरों के बीच बातचीत की पूरी रिकॉर्डिंग

इसका मतलब ये हुआ कि काउंसलर एक्सेस के दौरान पाकिस्तान जाधव की भारतीय अफसरों के साथ बातचीत के हर एक शब्द को सुनना चाहता है.

इस पर भारत ने कुलभूषण जाधव पाकिस्तान से कहा है कि वह इंटरनेशनल कोर्ट के फैसले के अनुसार जाधव को बदला और ‘‘धमकाए जाने के भय’’ से मुक्त माहौल में काउंसलर एक्सेस उपलब्ध कराई जाए. भारत ने कहा, काउंसर एक्सेस ‘‘बिना किसी रुकावट’’ के दी जानी चाहिए और ये आईसीजे के आदेश के अनुसान मुहैया कराई जानी चाहिए.

बता दें कि 17 जुलाई को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस से भारत को बड़ी जीत मिली थी. कोर्ट ने जाधव की फांसी पर पाकिस्तान को फिर से विचार करने के लिए कहा था. साथ ही कोर्ट ने जाधव को काउंसलर एक्सेस दिए जाने का आदेश दिया था. इससे पहले भारत ने पाकिस्तान से 13 बार काउंसलर एक्सेस देने की गुजारिश की थी. इसके करीब 15 दिन बाद 1 अगस्त को पाकिस्तान ने भारत को काउंसलर एक्सेस का प्रस्ताव भेजा.

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क्या है काउंसलर एक्सेस?

VCCR के आर्टिकल 36 (1) (बी) में कहा गया है कि अगर किसी देश (A) के नागरिक को किसी दूसरे देश (B) में गिरफ्तार किया जाता है, तो...

  • देश B को बिना देरी किए वीसीसीआर के अधिकारों के तहत उस देश A को जानकारी देनी होगी. इसमें देश A के अधिकारियों को जानकारी देना और उनसे मदद लेना शामिल है.
  • देश B को देश A के दूतावास या उच्चायोग को ये जानकारी देना जरूरी है कि उन्होंने उस देश के नागरिक को गिरफ्तार/हिरासत में लिया है.

आर्टिकल 36(1)(सी) में कहा गया है कि देश A के अधिकारियों को उस देश में सफर करने का अधिकार है जिस देश में गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया है. गिरफ्तार व्यक्ति का कानूनी सहायता देने का भी प्रावधान है.

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