रूस की तरफ से भारत के लिए S-400 मिसाइल की डिलीवरी शुरू होने जा रही है. रूस की तरफ से कहा गया कि S-400 का पहला रेजिमेंटल सेट इस साल के आखिर तक भारत पहुंच जाएगा. लेकिन इसमें पेंच ये है कि भारत-रूस की इस डील से अमेरिका को आपत्ति है और आपत्ति इस हद तक कि अमेरिका भारत पर प्रतिबंध भी लगा सकता है.
फिर इसके बावजूद भारत के लिए ये डील इतनी महत्वपूर्ण क्यों है, S-400 मिसाइल में ऐसा क्या खास है, अमेरिका को क्यों आपत्ति है और वो क्या प्रतिबंध लगा सकता है ये समझते हैं...
क्या खास है S-400 मिसाइल में?
S-400 मिसाइल सिस्टम जमीन से आसमान में वार करने के सक्षम है. आसमान में उड़ने वाले दुश्मन के फाइटर जेट, मिसाइल या ड्रोन को S-400 उड़ा सकता है. ये 400 किलोमीटर की दूरी तक हमला कर सकता है और जमीन से 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक को टारगेट कर सकता है. रूस की ‘अल्माज-एंते’ नाम की कंपनी द्वारा बमाई गई मिसाइल को सबसे पहले रूस की राजधानी मॉस्को में तैनात किया गया था. इसको तैनात करने में ज्यादा झंझट भी नहीं है क्योंकि इसे महज पांच से दस मिनट के अंदर तैनात किया जा सकता है.
अमेरिका इस डील से क्यों नाराज है?
कई डिफेंस एक्सपर्ट के ये मानना है कि अमेरिका के पास जो उम्दा फाइटर जेट है वो S-400 मिसाइल की टक्कर का है. वहीं कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत यूएस में बने एयर डिफेंस सिस्टम को नकार कर चुका है जिसके बाद उसने रूस के साथ समझौता किया.
वहीं अमेरिका साल 2017 में एक कानून ला चुका है- CAATSA जिसे काट्सा भी कहा जा सकता है. काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स ऐक्ट (CAATSA). इस कानून के तहत अगर कोई देश रूस से डिफेंस का सामान खरीदता है तो अमेरिका उस देश पर प्रतिबंध लगा सकता है. अब तक इस कानून के तहत रूस, ईरान और नॉर्थ कोरिया पर प्रतिबंध लगाए गए हैं.
भारत को इस डील से क्या फायदा होगा?
भारत के पड़ोसी जब पाकिस्तान और चीन जैसे आक्रामक हों तब इस डील की अहमियत बढ़ जाती है. रूस से ये मिसाइल सिस्टम चीन पहले ही खरीद चुका है इसिलिए इस मिसाइल सिस्टम को भारत की तरफ से काफी तवज्जो दी जा रही है. साथ ही भारत ने रूस से ये डील पक्की करते वक्त एक शर्त रखी थी, शर्त ये थी कि रूस, पाकिस्तान को S-400 मिसाइल नहीं देगा. रूस इसके लिए अपनी सहमति दे चुका है.
किन देशों के पास है S-400 मिसाइल?
S-400 मिसाइल चीन और तुर्की के पास पहले से ही है. अब रूस, सऊदी अरब के साथ इस मिसाइल सिस्टम की खरीदने की बात कर रहा है. रूस और भारत की डील के साथ अब भारत दुनिया का तीसरा देश होगा जिसके पास यह मिसाइल सिस्टम है.
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