केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध-प्रदर्शन जारी है. भारी तादाद में किसान दिल्ली के कई बॉर्डर पर इन कानूनों को वापस लिए जाने के लिए अपनी आवाज उठा रहे हैं. किसानों को कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका के कई नेताओं का समर्थन मिला है और इसमें सबसे बड़ा नाम कैनेडियन पीएम जस्टिन ट्रूडो का है. भारतीय विदेश मंत्रालय ट्रूडो के बयान की आलोचना कर चुका है और अब कनाडा के हाई कमिश्नर को भी तलब किया गया है.
हाई कमिश्नर को विदेश मंत्रालय (MEA) तलब कर ये सूचित किया गया कि पीएम ट्रूडो, कई कैबिनेट मंत्री और सांसदों के किसानों से संबंधित बयान 'आंतरिक मामलों में अस्वीकार्य हस्तक्षेप' है.
अगर ऐसी हरकतें जारी रहती हैं तो भारत और कनाडा के रिश्तों पर नुकसानदायक प्रभाव हो सकता है.कैनेडियन हाई कमिश्नर से MEA
विदेश मंत्रालय ने कहा, "इन बयानों से कनाडा स्थिति हमारे हाई कमीशन और कॉन्सुलेट के बाहर उग्रवादी गतिविधियों के जमा होने को बढ़ावा मिला. इससे सेफ्टी और सुरक्षा के मुद्दे खड़े होते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा सरकार भारतीय डिप्लोमेट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी और ऐसे बयान देने से बचेगी."
पहले MEA ने क्या कहा था?
इससे पहले भी भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कनाडा के पीएम और अन्य नेताओं के बयानों की आलोचना की गई थी और इन्हें गलत बताया गया था.
भारत ने कहा था कि किसानों को लेकर की गई टिप्पणी ठीक नहीं हैं, क्योंकि ये एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों में से एक है. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि डिप्लोमेटिक बातचीत को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए गलत तरीके से पेश नहीं किया जाना चाहिए.
विदेश मंत्रालय के अलावा AAP विधायक और प्रवक्ता राघव चड्ढा ने भी कनाडा के पीएम के बयान की आलोचना की थी. चड्ढा ने कहा कि ऐसे बयान स्वीकार्य नहीं हैं और भारत अपने मसलों को खुद सुलझा सकता है.
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