भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2006-07 में मनमोहन सरकार के समय 10.78 फीसदी की सालाना ग्रोथ रेट को छुआ था. यह LPG रिफॉर्म के बाद सबसे ज्यादा ग्रोथ रेट थी. 1991 में नरसिम्हा राव सरकार के समय LPG रिफॉर्म (लिबरेलाइजेश, प्राइवेटाइजेशन, ग्लोबलाइजेशन) हुए थे.
आंकड़ों का लेखा-जोखा बैक सीरीज डेटा के जरिए ‘’रियल सेक्टर स्टेटिस्टिक कमेटी’’ ने दिया है. कमेटी को नेशनल स्टेटिस्टिकल कमीशन ने बनाया है. कमेटी की रिपोर्ट को मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (MOSPI) की वेबसाइट पर डाला गया है.
रिपोर्ट में 2004-05 और 2011-12 को बेस ईयर मानकर दो अलग-अलग जीडीपी ग्रोथ रेट का आंकड़ा बताया गया है. बता दें रियल जीडीपी निकालने के लिए फिलहाल 2011-12 आधार वर्ष (बेस ईयर) है. इससे पहले 2004-05 बेस ईयर था.
2004-05 को बेस ईयर माना जाए तो उस समय जीडीपी ग्रोथ रेट 9.57 फीसदी थी. वहीं 2011-12 को बेस ईयर मानने पर ये आंकड़ा 10.08 फीसदी आया है. कांग्रेस पार्टी ने एक ट्वीट करते हुए कहा,
जीडीपी बैकसीरीज डेटा आखिरकार आ गया है. इससे साबित होता है कि यूपीए के दोनों टर्म में (10 सालों का औसत 8.1 फीसदी सालाना) मोदी सरकार से ज्यादा ग्रोथ रेट (औसतन 7.3 फीसदी सालाना) रही है. मॉडर्न इंडियन हिस्ट्री में दो अंको तक ग्रोथ रेट पहुंचाने का एकमात्र रिकॉर्ड यूपीए के पास है.
नेशनल स्टेटिस्टिक कमीशन ने डाटा कलेक्शन प्रोसेस को मजबूत और तेज करने के लिए कमेटी का गठन किया है.
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