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2014-19 के बीच राजद्रोह के 326 केस दर्ज, सिर्फ 6 मामलों में दोषी करार

सबसे ज्यादा 54 Sedition Case असम में दर्ज किए गए

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केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2014 से 2019 के बीच राजद्रोह (Sedition) कानून के तहत कुल 326 मामले दर्ज किए गए, जिनमें सबसे ज्यादा 54 मामले असम में दर्ज किए गए. कुल मामलों में से 141 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई. जबकि इन छह साल की अवधि के दौरान केवल छह लोगों को दोषी पाया गया. अभी तक इसमें 2020 के आंकड़े शामिल नहीं किए गए हैं.

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असम में दर्ज 56 मामलों में से 26 में चार्जशीट दाखिल की गई है. और 25 मामलों में मुकदमे की सुनवाई पूरी हुई है. हालांकि, असम में 2014-2019 के बीच किसी भी मामले में किसी को दोषी नहीं ठहराया गया.

किन राज्यों में कितने केस?

  • झारखंड में इन 6 वर्षों के दौरान राजद्रोह के 40 मामले दर्ज किए गए जिनमें से 29 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई और 16 मामलों में सुनवाई पूरी हुई जिनमें से केवल एक ही व्यक्ति को दोषी ठहराया गया.

  • हरियाणा में राजद्रोह कानून के तहत 31 मामले दर्ज किए गए जिनमें से 19 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई और छह मामलों में सुनवाई पूरी हुई जिनमें से महज एक व्यक्ति दोषी सिद्ध हुआ.

  • बिहार जम्मू कश्मीर और केरल में राजद्रोह के 25-25 मामले दर्ज किए गए. बिहार और केरल में किसी भी मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं की गई जबकि जम्मू कश्मीर में 3 मामलों में 40 सीट दाखिल की गई हालांकि तीनों राज्यों में इन 6 सालों के बीच कोई भी मामले में दोषी करार नहीं दिया गया.

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  • कर्नाटक में राजद्रोह के 22 मामलों में से 17 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई और सिर्फ एक मामले में सुनवाई पूरी की जा सकी और अब तक दोषी किसी को भी नहीं ठहराया गया

  • उत्तर प्रदेश में 2014 से 2019 के बीच राजद्रोह के 17 मामले दर्ज किए गए. पश्चिम बंगाल में 8 मामले दर्ज किए गए. वहीं पश्चिम बंगाल में 5 और उत्तर प्रदेश में 8 लोगों की चार्जशीट दाखिल की गई. दोनों राज्यों में अभी तक किसी को दोषी नहीं ठहराया गया.

  • वहीं 2014 से 2019 के बीच राजद्रोह के केस का दिल्ली में यह आंकड़ा 4 रहा लेकिन किसी भी मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं की गई.

  • इन 6 सालों में मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम, अंडमान निकोबार दीप समूह, लक्षदीप, पांडिचेरी, चंडीगढ़, दमन और दीव दादरा नगर हवेली के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से कहीं पर भी राजद्रोह का मामला दर्ज नहीं किया.

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2019 में सबसे ज्यादा मामले दर्ज

3 राज्यों महाराष्ट्र (2015) पंजाब (2015) और उत्तराखंड (2017) में 11 राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2019 में देश में सबसे ज्यादा 93 राजद्रोह के मामले दर्ज हुए इसके बाद 2018 में 70, 2017 में 51, 2014 में 47, 2016 में 35 और 2015 में 30 मामले दर्ज हुए.

वहीं इन मामलों में चार्जशीट दाखिल किए जाने का आंकड़ा कुछ इस तरह है - 2019 में 40, 2018 में 38, 2017 में 27, 2016 में 16 2014 में 14 और 2015 में 6.

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2014-2019 के बीच अब तक जिन 6 लोगों को राजद्रोह के मामले में दोषी माना गया है उनमें से 2 को 2018 में और 2019, 2017, 2016 में एक एक व्यक्ति को सजा सुनाई गई थी. जबकि 2015 में किसी को दोषी नहीं ठहराया गया.

15 जुलाई को मुख्य न्यायधीश एनवी रामना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और एक पूर्व मेजर जनरल द्वारा आईपीएस की धारा 124 A (देशद्रोह) की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की जांच करने पर सहमति व्यक्त की.

अदालत ने "कानून के दुरुपयोग" को मुख्य चिंता बताया. और कहा कि इसी दुरुपयोग की वजह से राजद्रोह के केस के मामलों में बढ़त हुई है.

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