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आर्मी चीफ का नेपाल दौरा- दोनों देशों के बीच की कड़वाहट होगी कम?

आर्मी चीफ नरवणे को नेपाली सेना के जनरल के मानद रैंक से किया जाएगा सम्मानित

Published
भारत
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भारत और नेपाल के बीच पिछले दिनों रिश्ते कुछ ठीक नहीं रहे, नेपाल की तरफ से भारत के खिलाफ जमकर बयानबाजी हुई, जिसका भारत ने भी करारा जवाब दिया. लेकिन अब रिश्तों में इस कड़वाहट के बीच भारतीय सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे तीन दिन की नेपाल यात्रा पर पहुंचे हैं. जिसके बाद अब उम्मीद है कि दोनों देशों के रिश्तों में पहले जैसी मिठास आ सकती है. जानिए भारत और नेपाल के बीच क्या विवाद था और भारतीय सेनाध्यक्ष आखिर नेपाल में क्यों हैं?

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दरअसल एक परंपरा के तहत भारतीय सेना प्रमुख नेपाल के दौर पर हैं. क्योंकि यहां उन्हें एक खास सम्मान से नवाजा जाएगा. हर साल भारतीय सेना प्रमुख को नेपाल की सरकार बुलाती है और नेपाली सेना के जनरल के मानद रैंक से उन्हें सम्मानित किया जाता है. इसके लिए एक खास समारोह आयोजित किया जाता है. जिसमें आर्मी चीफ नरवणे हिस्सा ले रहे हैं. नरवणे अगले तीन दिनों तक नेपाल में रहेंगे.

हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ नेपाल सरकार की तरफ से ही ये सम्मान दिया जाता है. ये परंपरा 1950 में शुरू हुई थी. जिसके तहत दोनों देश एक दूसरे के सेना प्रमुखों को जनरल की मानद रैंक प्रदान करते हैं. इसी के तहत अब नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी जनरल नरवने को ‘जनरल ऑफ द नेपाल आर्मी’ की मानद रैंक से सम्मानित करेंगीं.
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रिश्तों में होगा सुधार?

अब भारतीय सेना प्रमुख के नेपाल दौरे से कहीं न कहीं दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट कम होने की उम्मीद है. सीमा विवाद के चलते दोनों देशों के रिश्तों में पिछले कुछ महीनों से लगातार तनाव देखा गया था. लेकिन अब भले ही आर्मी चीफ का ये औपचारिक दौरा हो, लेकिन इस दौरान दोनों देशों की आपसी रिश्तों को लेकर भी बात हो सकती है. साथ ही इसके बाद नेपाल अपने तेवर नरम जरूर कर सकता है. नरवणे और नेपाल आर्मी चीफ के बीच बैठक होना भी तय है. साथ ही नरवणे काठमांडू के शिवापुरी में आर्मी कमांड एंड स्टाफ कॉलेज के छात्रों को संबोधित भी करेंगे.

बता दें कि कुछ ही हफ्ते पहले भारतीय खुफिया एजेंसी RAW के चीफ भी नेपाल पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री केपी ओली से भी मुलाकात की थी. इस मुलाकात के तुरंत बाद नेपाल के सुर बदले हुए नजर आए और पीएम ओली ने नेपाल का पुराना नक्शा ट्वीट किया. जिसमें भारतीय क्षेत्र को नेपाल में नहीं दिखाया गया है.
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क्या था विवाद?

दरअसल चीन और भारत के बीच जारी सीमा विवाद के दौरान नेपाल ने भी लिपुलेख इलाके को लेकर अपना दावा पेश कर दिया. ये इलाका भारत में है, लेकिन नेपाल ने दावा किया कि ये उसका हिस्सा है. इसके बाद नेपाल ने एक नक्शा जारी किया, जिसमें इस क्षेत्र को नेपाल में दिखाया गया. भारत की तरफ से इसका कड़ा विरोध भी किया गया. लेकिन नेपाल की ओली सरकार ने इसे संसद से पास करा दिया. इस विवादित नक्शे को लेकर विवाद लंबा चला, लेकिन आखिरकार नेपाल ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया.

इस दौरान नेपाल में मौजूद आर्मी चीफ नरवणे ने भी एक बयान दिया था, जिस पर चीन ने सख्त विरोध जताया. आर्मी चीफ ने कहा था कि नेपाल किसी और के इशारों पर ये सब कर रहा है. उन्होंने कहा था, “नेपाल ने किसी और के इशारे पर इस मुद्दे को उठाया होगा. ये विश्वास रखने का कारण है और ये बहुत संभव है.” दरअसल आर्मी चीफ ने चीन की तरफ ये इशारा किया था कि वो नेपाल को भारत के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रहा है.

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