भारत ने 29 जून को चीन के 59 ऐप्स बैन कर दिए थे. इनमें अलीबाबा ग्रुप के UC ब्राउजर और UC न्यूज भी शामिल हैं. अब खबर आई है कि भारत के एक कोर्ट ने अलीबाबा और इसके फाउंडर जैक मा को समन किया है. ये मामला अलीबाबा के एक पूर्व कर्मचारी से जुड़ा है, जिसने दावा किया है कि कंपनी के कई ऐप्स में 'सेंसरशिप' और 'फेक न्यूज' जैसे मुद्दों को उठाने की वजह से उसे निकाल दिया गया था.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने इस बात की जानकारी दी है. रिपोर्ट में बताया गया कि भारत ने ऐप्स पर बैन लगाने के बाद सभी कंपनियों से लिखित जवाब मांगा था कि क्या वो कंटेंट सेंसर करती थीं या किसी विदेशी सरकार के कहने पर काम करती थीं.
रिपोर्ट में कहा गया कि 20 जुलाई की कोर्ट फाइलिंग में अलीबाबा के UC वेब के पूर्व कर्मचारी पुष्पेंद्र सिंह परमार ने आरोप लगाया कि कंपनी चीन के ‘खिलाफ’ दिखने वाले कंटेंट को सेंसर करती थी और, UC ब्राउजर और UC न्यूज जैसे ऐप्स पर ‘फेक न्यूज’ दिखाकर ‘सामाजिक और राजनैतिक उथल-पुथल’ करना चाहती थी.
गुरुग्राम के जिला कोर्ट के एक सिविल जज ने अलीबाबा, जैक मा और दर्जन भर लोगों और कंपनी यूनिट्स को 29 जुलाई में खुद या वकील के जरिए कोर्ट में मौजूद रहने का समन दिया है. समन के मुताबिक, जज ने कंपनी और एग्जीक्यूटिव्स से 30 दिन के अंदर लिखित जवाब भी मांगा है.
UC इंडिया ने अपने बयान में कहा कि 'वो भारतीय बाजार और अपने स्थानीय कर्मचारियों के लिए प्रतिबद्ध है और उसकी सभी पॉलिसी स्थानीय कानूनों के मुताबिक है.' कंपनी ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि अलीबाबा के प्रतिनिधि ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं दी है.
कोर्ट में क्या दावे किए गए?
रॉयटर्स की रिपोर्ट बताती है कि 200 पन्नों से ज्यादा की कोर्ट फाइलिंग में पूर्व कर्मचारी परमार ने UC न्यूज ऐप की कुछ पोस्ट की क्लिपिंग दी हैं, जिन पर फेक होने का आरोप है.
2017 की एक पोस्ट की हिंदी में हैडलाइन थी: 'आज मध्यरात्रि से 2000 रुपये का नोट बैन हो जाएगा'. इसी तरह 2018 की एक पोस्ट कहती है: 'अभी अभी: भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू' और इसमें दोनों देशों के बॉर्डर पर फायरिंग की बात है.
इसके अलावा कोर्ट फाइलिंग में एक ‘संवेदनशील शब्दों की लिस्ट’ भी है जिसमें हिंदी और अंग्रेजी में “India-China border” और “Sino-India war” जैसे शब्द हैं. आरोप है कि UC वेब इनका इस्तेमाल कंटेंट सेंसर करने के लिए करता था.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली स्थित चीन का दूतावास और बीजिंग में विदेश मंत्रालय और भारत के आईटी मंत्रालय ने टिप्पणी के निवेदन पर कोई जवाब नहीं दिया.
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