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Indian Rail: 34KM के सफर से हुई शुरुआत, आज दुनिया का सबसे व्यस्त रेलवे नेटवर्क

Indian Railway Day 2023: पहली पैसेंजर ट्रेन में 400 लोगों ने सफर किया था.

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Indian Railway Day 2023: 16 अप्रैल भारतीय इतिहास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. इसी दिन भारत में पहली पैसेंजर ट्रेन पटरियों पर दौड़ी थी. भारतीय इतिहास की ये पहली ट्रेन मुंबई से ठाणे चलायी गयी थी. इस ऐतिहासिक ट्रेन ने 16 अप्रैल, 1853 को महाराष्ट्र के बोरी बन्दर टर्मिनल से ठाणे तक का सफर तय किया था. ये सफर 34 किलोमीटर लंबा था.

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एक घंटे 15 मिनट में पूरा किया था सफर

बता दें कि अंग्रेजों ने अपने व्यापार के लिए भारत में रेलवे का जाल बिछाया था. बहुत से लोग सोचते हैं कि यह ट्रेन एक मालगाड़ी थी और भारत में रेल परिवहन के लिए पहली ट्रेन थी, लेकिन हकीकत ये है कि ये पहली पैसेंजर ट्रेन थी और इसमें 400 लोगों ने सफर किया था. 34 किमी का यह सफर इस ट्रेन ने एक घंटे 15 मिनट में पूरा किया.

पहली ट्रेन में  कुल 14 डिब्बे थे

डेक्कन क्वीन नाम की इस ट्रेन में कुल 14 डिब्बे थे. यह ट्रेन बोरीबंदर से दोपहर 3.30 बजे चली जिसे आज छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के नाम से जाना जाता है और यह अपने गंतव्य स्थान पर शाम 4.45 बजे पहुंची थी. इस ट्रेन को चलाने के लिए तीन लोकोमोटिव का इस्तेमाल किया गया था, जिसका नाम था साहिब, सुल्तान और सिंध. ये सफर बेशक ही छोटा था, लेकिन यहीं से भारतीय रेलवे की नींव रखी गई थी.

पटरियों की चौड़ाई पांच फुट छह इंच थी

ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे कंपनी द्वारा डेक्कन क्वीन पैसेंजर ट्रेन के लिए बिछाई गई पटरियों की चौड़ाई पांच फुट छह इंच रखी गई थी. जिसके बाद से भारत में पटरियों की चौड़ाई का यही स्टैंडर्ड बन गया और आज तक भारत में इसी चौड़ाई की पटरियां बिछाई जाती है.

दुनिया का सबसे व्यस्त रेलवे नेटवर्क

मार्च 2020 तक, राष्ट्रीय रेल नेटवर्क में 7,325 स्टेशनों के मार्ग पर 126,366 किमी (78,520 मील) का ट्रैक शामिल था. यह दुनिया के सबसे व्यस्त नेटवर्कों में से एक है, जो सालाना 8.086 बिलियन यात्रियों और 1.208 बिलियन टन माल का परिवहन करता है. मार्च 2020 तक, IR के रोलिंग स्टॉक में 293,077 फ्रेट वैगन, 76,608 यात्री कोच और 12,729 लोकोमोटिव शामिल थे.

जानें भारतीय रेलवे के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • भारत की सबसे तेज ट्रेन, वंदे भारत एक्सप्रेस 180 किमी प्रति घंटे की गति से चल सकती है, जबकि सबसे धीमी ट्रेन मेट्टुपलयम ऊटी नीलगिरि यात्री ट्रेन है जिसकी गति केवल 10 किमी प्रति घंटा है.

  • भारत में पहली ट्रेन रेड हिल रेलवे थी, जो 1837 में रेड हिल्स से चिंताद्रिपेट पुल तक चली थी.

  • उत्तर प्रदेश के गोरखपुर रेलवे स्टेशन का प्लेटफॉर्म दुनिया का सबसे लंबा स्टेशन है, जिसकी लंबाई 1366 मीटर है. हालांकि इससे पहले ये रिकॉर्ड पश्चिम बंगाल के खड़गपुर स्टेशन के पास था, जिसके प्लेटफॉर्म की लंबाई 1072 मीटर है.

  • नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास दुनिया का सबसे बड़ा रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम होने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड है.

  • साल 1925 में पहली बार ट्रेन बजट पेश किया गया था और इसी साल ट्रेनों के इलेक्ट्रिफिकेशन का काम शुरू किया गया.

  • भारत में पहली इलेक्ट्रिक पैसेंजर ट्रेन 3 फरवरी, 1925 को बॉम्बे विक्टोरिया टर्मिनल और कुर्ला हार्बर के बीच चली थी.

  • डिब्रूगढ़ और कन्याकुमारी के बीच चलने वाली विवेक एक्सप्रेस लगभग 82 घंटे 30 मिनट में 4286 किमी की दूरी तय करती है. यह यात्रा न केवल भारत में बल्कि पूरे उपमहाद्वीप में सबसे लंबी है.

  • साल 1862 में पहली रेलवे वर्कशॉप बिहार के मुंगेर के पास जमालपुर में स्थापित की गई थी.

  •  बॉम्बे को ठाणे, कल्याण और थाल और भोर घाटों के साथ जोड़ने के लिए रेलवे का विचार पहली बार साल 1843 में भांडुप की यात्रा के दौरान बॉम्बे सरकार के चीफ इंजीनियर श्री जॉर्ज क्लार्क को आया था.

  • दिल्ली जंक्शन शहर का सबसे पुराना और प्रमुख स्टेशन था और आज तक बना हुआ है. यह पहली बार 1864 में चांदनी चौक के पास स्थापित किया गया था जब हावड़ा यानी कलकत्ता से ट्रेनों का संचालन दिल्ली तक शुरू हुआ था. 

  • देश आजाद होने के 4 साल बाद 1951 में रेलवे का राष्ट्रीयकरण किया गया था.

  • साल 1952 से सभी ट्रेनों के अंदर लाइट और सोने के लिए बर्थ बनाना अनिवार्य कर दिया गया.

  • भारत की पहली फुली एयर कंडीशन ट्रेन साल 1956 में दिल्ली और हावड़ा के बीच चलाई गई थी.

  • साल 1891 में ट्रेन के अंदर शौचालय की सुविधा की गई थी, लेकिन ये सुविधा सिर्फ प्रथम श्रेणी के डिब्बों के लिए थी. हालांकि साल 1909 से ट्रेन के हर डिब्बे में शौचालय की सुविधा दी जाने लगी. आज भारत के हर रेलगाड़ी में बायो-टॉयलेट की सुविधा है. 

  • साल 1902 में जोधपुर रेलवे पहली कंपनी बनी, जिसने ट्रेन के अंदर इलेक्ट्रिकल लाइट्स को स्टैंडर्ड के रूप में प्रस्तुत किया था.

  • दक्षिण भारत में पहली बार पैसेंजर ट्रेन साल 1856 में चलाई गई थी. इस ट्रेन ने रोयापुरम से आर कोर्ट तक का सफर तय किया था. इस ट्रेन का निर्माण और संचालन मद्रास रेलवे ने किया था.  

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