रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने बताया कि 1 मई को सबसे पहले रेलवे ने लॉकडाउन में श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला किया. इसके साथ ही रेलवे ने किसी भी स्टेशन से ट्रेन चलाने की तैयारी की. राज्यों को कहा गया कि जहां से उन्हें जरूरत है वहां से ट्रेन चलाई जाएंगी. 20 मई को सबसे ज्यादा 279 ट्रेन चलाई गईं. पिछले चार दिनों में 260 ट्रेनें चलाई गई हैं. आज तक करीब 26 लाख यात्री एक स्टेस से दूसरे स्टेट में जा चुके हैं. कुल 2600 से ज्यादा श्रमिक ट्रेनें चलाई गईं.
80 फीसदी यात्री यूपी-बिहार से
रेलवे चेयरमैन ने बताया कि यूपी और बिहार के प्रवासी मजदूरों ने 80 प्रतिशत यात्रा की है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकारों के साथ मिलकर अगले 10 दिनों के लिए शेड्यूल तैयार किया गया है. अगले 10 दिनों में करीब 2600 ट्रेनें चलेंगी. जिसमें करीब 36 लाख यात्रा सफर कर पाएंगे. इसमें इंटर-स्टेट और स्टेट के अंदर की यात्रा शामिल है. रेलवे चेयरमैन ने आगे बताया,
1 जून से 200 पैसेंजर ट्रेनें चलाई जा रही हैं. शुरुआत में ऑनलाइन बुकिंग शुरू की गई, लेकिन इसके बाद सारी विंडो खोलने का फैसला किया गया है. अब तक 1 हजार काउंटर खुल चुके हैं. रेलवे के 6 हजार से ज्यादा स्टेशनों में रेलवे स्टॉल्स को खोलने का भी आदेश दिया गया है.
रेलवे ने बतााया कि ये व्यवस्था तब तक चलती रहेगी, जब तक सारे श्रमिक भाई-बहन अपने घरों तक पहुंच जाएं. स्पेशल पैसेंजर ट्रेनों में 97 प्रतिशत बुकिंग आ रही हैं. इनमें सभी सुरक्षा नियमों का खयाल रखा जा रहा है. इसके अलावा रेलवे के पास 80 हजार बेड उपलब्ध हैं. जहां भी राज्यों को जरूरत पड़ेगी हम उन्हें वहां इस्तेमाल करेंगे.
'खाने-पीने की कमी को लेकर अफवाहें'
रेलवे के अलावा गृहमंत्रालय की तरफ से बताया गया कि, "इस वक्त काफी तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं. राज्य अफवाहों को रोकने का काम करें. कई जगह ये अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि खाने की कमी है." गृहमंत्रालय की प्रवक्ता ने बताया कि लगातार जागरुकता फैलाने का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि प्रवासी मजदूरों के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं. महिलाओं, बच्चों और सीनियर सिटीजंस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. अब तक कुल 40 लाख प्रवासी मजदूर बसों के जरिए यात्रा कर चुके हैं.
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