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'मिशन रफ्तार'क्या है? दिल्ली-मुंबई समेत इन मार्गों पर बढ़ेगी ट्रेनों की स्पीड

Ashwini Vaishnav ने कहा- "'मिशन रफ्तार' के जरिए और बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई उपाय लागू किए गए हैं."

Published
भारत
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रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने बुधवार, 6 दिसंबर को ऐलान किया कि 'मिशन रफ्तार' के तहत स्वर्णिम चतुर्भुज यानी Golden Quadrilateral (राजमार्ग) के नई दिल्ली-मुंबई और नई दिल्ली-हावड़ा मार्गों की स्पीड क्षमता को बढ़ाने के लिए सुधार किया जा रहा है. चलिए जानते हैं कि मिशन रफ्तार से क्या फायदा होगा?

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अश्विनी वैष्णव ने कहा कि माल ढुलाई और सुपरफास्ट मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की औसत गति बढ़ाने के लक्ष्य के साथ 2016-17 के रेल बजट में 'मिशन रफ्तार' का ऐलान किया गया था.

संसद में सवालों का जवाब देते हुए रेलमंत्री ने कहा कि स्वर्णिम चतुर्भुज के हिस्से के रूप में नई दिल्ली-मुंबई और नई दिल्ली-हावड़ा मार्गों पर ध्यान केंद्रित किया गया है. 'मिशन रफ्तार' के जरिए और बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई उपाय लागू किए गए हैं, जिनमें बाईपास का निर्माण, रेल फ्लाईओवर, तीसरी/चौथी लाइन का निर्माण, ट्रेनों की सही पॉवर, पारंपरिक लोको-चालित ट्रेनों को MEMU द्वारा प्रतिस्थापित करना और समय सारिणी शामिल है. इसके अलावा 1×25 केवी ट्रैक्शन सिस्टम को 2×25 केवी ट्रैक्शन सिस्टम में बदलना और संशोधित करना भी शामिल है.

ट्रेनों की स्पीड पर हो रहा काम

Financial Express की रिपोर्ट के मुताबिक, अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ट्रेनों की स्पीड बढ़ाना एक लगातार प्रक्रिया है, जो पटरियों, सिग्नलिंग सिस्टम, ओवरहेड उपकरण (OHE), हाई पॉवर वाले लोकोमोटिव और आधुनिक कोच पर निर्भर करती है.

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ट्रेनों की स्पीड बढ़ाना एक लगातार कोशिश और प्रक्रिया है, जो पटरियों, ओएचई (ओवरहेड उपकरण), हाई पॉवर वाले लोको और आधुनिक कोच आदि के उन्नयन पर निर्भर है.
अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय रेलवे मंत्री

उन्होंने आगे कहा कि भारतीय रेलवे ने पहले ही पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के 1,337 किलोमीटर और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के 1,149 किलोमीटर को चालू कर दिया है, जिससे मालगाड़ियों को हाई स्पीड से चलने में सक्षम बनाया गया है.

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