मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस के एक नए सर्वे में खुलासा हुआ है कि 78 प्रतिशत शहरी भारतीय सिंगल यूज प्लास्टिक के पूर्ण प्रतिबंध को लेकर ठोस कदम उठाने के पक्ष में हैं. 'अ थ्रोअवे वर्ल्ड- द चैलेंज ऑफ प्लास्टिक पैकेजिंग एंड वेस्ट' नाम के इस सर्वे के मुताबिक, 80 प्रतिशत से अधिक शहरी भारतीयों ने कहा कि वे अपने द्वारा उत्पादित पैकेजिंग के रिसाइक्लिंग और रीयूज के लिए इसे बनाने वालों को जिम्मेदार ठहराएंगे.
इप्सोस इंडिया की क्लाइंट ऑफिसर नीतू बंसल ने अपने बयान में कहा,
‘भारतीयों के सिंगल यूज प्लास्टिक पर कड़े रुख का अपनाना, सरकार द्वारा लागू किए गए सख्त नियमों का असर है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री खुद कर रहे हैं. इस वजह से भारतीयों में व्यापक तौर पर जागरूकता और उनके व्यवहार में परिवर्तन देखा जा रहा है.’
हालांकि सर्वे में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि प्लास्टिक के रिसाइकिलिंग को लेकर कम भारतीयों को ही जानकारी है.
ये सर्वे 26 जुलाई से 9 अगस्त के बीच किया गया था, जिसमें 19,515 वयस्कों को शामिल किया गया था.
भारत में सलाना तकरीबन 14 मिलियन टन प्लास्टिक का का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन प्लास्टिक वेस्ट को मैनेज करने में देश अभी काफी पीछे है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, दुनिया के महासागरों में अब तक करीब 100 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा फेंका गया है. वैज्ञानिकों ने व्हेल जैसे गहरे पानी में रहने वाली मछलियों की आंतों में बड़ी मात्रा में माइक्रो प्लास्टिक पाया है.
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