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"20 साल पहले भी शिकायत की थी" इंदौर के निवासी बता रहें- बावड़ी हादसा टल सकता था

Indore temple well collapse: इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर बावड़ी की छत का गिरने से 36 लोगों की मौत हुई है

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भारत
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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) में गुरुवार, 30 मार्च को बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में बावड़ी की छत का गिरने से 36 लोगों की मौत हो गई. इलाके के निवासियों ने दावा किया है कि अवैध अतिक्रमण और प्रशासन की लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ है. निवासियों का कहना है कि अगर वक्त पर प्रशासन अतिक्रमण हटवा देता, तो यह हादसा नहीं होता.

इंदौर के स्नेह नगर इलाके में स्थित बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर का मैनेजमेंट एक प्राईवेट ट्रस्ट द्वारा किया जाता है. स्थानीय निवासियों ने द क्विंट से बात करते हुए बताया कि उन्होंने 20 साल पहले इंदौर नगर निगम (IMC) के साथ मंदिर के "अनियंत्रित विस्तार" के बारे में शिकायत की थी, लेकिन निकाय की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई.

रामनवमी पर मंदिर में हादसा होने से कई श्रद्धालु नीचे बावड़ी में गिर गए. रिपोर्ट के मुताबिक घटना के समय मंदिर में कम से कम सौ भक्त मौजूद थे.

एक्पैंशन गलत साबित हुआ?

स्थानीय निवासियों का कहना है कि दो दशक पहले जब मंदिर का विस्तार किया जा रहा था, तब अधिकारियों ने बावड़ी नहीं भरी थी. इसके बजाय उसके ऊपर लोहे की जालियां बिछाकर उसे पक्का कर दिया गया था. इसके बाद सीमेंट की परत को टाइल्स से ढक दिया गया लेकिन बावड़ी के खोखली होने के कारण 100 लोगों का वजन सह पाना मुश्किल था.

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नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय निवासी ने द क्विंट को बताया कि एक्पैंशन के खिलाफ समय पर कार्रवाई करने में विफल रहे राजनेता और अधिकारी इस हादसे के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं.

जब वे स्ट्रक्चर के विस्तार का काम कर रहे थे, तब कॉलोनी के सदस्यों ने इसका विरोध किया था. इसके बदले में उन पर हमला किया गया और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई.
इलाके का निवासी

'धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है नोटिस'

अप्रैल 2022 में, निवासियों द्वारा एक और शिकायत किए जाने के बाद इंदौर नगर निगम ने "अवैध निर्माण" को लेकर मंदिर के अधिकारियों को नोटिस जारी किया. इसके बाद मंदिर समिति ने नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि कोई अवैध निर्माण नहीं था और चेतावनी दी कि नोटिस "धार्मिक भावनाओं" को आहत कर सकता है.

इसके अलावा कहा गया कि आसपास के निवासियों और हिंदुओं में अशांति और भय का माहौल पैदा हो गया है, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने की आशंका है.
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इंदौर नगर निगम ने इस साल 30 जनवरी को एक और नोटिस जारी किया, जिसकी एक कॉपी द क्विंट के पास भी है. इस नोटिस में मंदिर के अधिकारियों को सात दिनों के अंदर सभी अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया गया है. इस नोटिस के बाद भी समिति ने न तो अतिक्रमण हटाने के उपाय किए और न ही नगर निगम ने कोई कार्रवाई की.

स्थानीय बीजेपी पार्षद मृदुल अग्रवाल ने मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि निवासियों द्वारा शिकायत की गई थी और नगर निगम ने मंदिर समिति को नोटिस जारी किया था.

उन्होंने कहा कि मैं नया पार्षद हूं, लेकिन स्थानीय लोगों ने पहले शिकायत की थी. कार्रवाई की जा रही थी और नगर निगम ने नोटिस भी जारी किया था.

मंदिर समिति के खिलाफ केस

इंदौर पुलिस ने मंदिर समिति के अध्यक्ष और सचिव के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है.

इंदौर पुलिस आयुक्त मकरंद देओस्कर ने कहा

मंदिर समिति के अध्यक्ष और सचिव के खिलाफ धारा 304 (गैर इरादतन हत्या ) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
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अधिकारियों पर आरोप

इस बीच, अधिकारियों पर बचाव अभियान में देरी करने का भी आरोप लगाया गया है. घटना के एक कथित वीडियो में एक महिला को उसके बाएं हाथ में बंधी रस्सी से बावड़ी से ऊपर खींचते हुए दिखाया गया है. रस्सी टूटने के बाद उसे सपोर्ट दे रहा एक आदमी उसके साथ नीचे गिरता हुआ दिखाई देता है.

निवासियों ने द क्विंट को बताया कि बचाव अभियान देर से शुरू हुआ. अगर वक्त पर कार्रवाई हुई होती तो अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती थी.

द क्विंट से बात करते हुए, एक अन्य निवासी संजीव अग्रवाल ने दावा किया कि

नगर निगम के पास कुएं से पानी निकालने के लिए पंप नहीं थी, उनके पास सीढ़ी नहीं थी. बचाव दल भी बहुत देर से पहुंचा. यहां से महज 20-22 किलोमीटर की दूरी पर महू में तैनात होने के बावजूद सेना को आने में घंटों का वक्त लग गया.

(द क्विंट ने इंदौर नगर निगम से संपर्क किया है. उनका जवाब आने के बाद कॉपी अपडेट की जाएगी.)

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