कोई सरकार कभी इंटरनेट बंद कर सकती है क्या? तुम झूठ बोलते हो... जयपुर के नलिन कुमार को ये ताना मारा लंदन की कंपनी जू डिजिटल के चीफ कंटेंट मैनेजर ने.
नलिन ने उन्हें फोन पर बताया कि सरकार ने जयपुर में दो दिन इंटरनेट बंद कर दिया, इसलिए काम नहीं हो पाया. इस पर उसने बिगड़ते हुए कहा कि क्या बकवास करते हो, दुनिया की कौन-सी सरकार इस जमाने में दो दिन इंटरनेट बंद करने का हुक्म दे सकती है?
नलिन ने उन्हें बताया कि दुनिया की दूसरी सरकारों का तो पता नहीं, पर हमारे यहां की सरकार तो अक्सर ऐसा करती है. उधर से नलिन को कहा गया कि फिर सबूत दिखाओ कि सरकार के आदेश से इंटरनेट बंद हुआ.
सबूत दो कि इंटरनेट बंद था
जू डिजिटल दुनिया की नामी-गिरामी टेक्नोलॉजी और मूवी कंपनी है, जो दुनियाभर की फिल्मों और सीरियल की अलग-अलग भाषा में सब टाइटलिंग यानी ट्रांसलेशन करती है. इस कंपनी का दफ्तर लंदन और हेडक्वार्टर लास एंजिल्स में है. हिंदी का काम भारत में अलग-अलग शहरों से करवाया जाता है और जयपुर इस काम में बहुत आगे है. लेकिन शर्त यही है कि काम डेडलाइन पर होना चाहिए.
नलिन के मुताबिक, उन्होंने जैसे ही लंदन दफ्तर को बताया कि जयपुर में दो दिन इंटरनेट बंद होने से काम पूरा नहीं हो पाया, तो वो भड़क गए. लंदन ऑफिस ने हैरानी जताई और कहा कि सबूत के तौर पर उन खबरों का लिंक भेजो और न्यूजपेपर में छपी खबर की फोटो भेजो, जिनमें इंटरनेट शटडाउन वाली बात छपी है.
राजस्थान, मतलब इंटरनेट शटडाउन
नलिन बताते हैं कि ये पहला मौका नहीं है. 7 माह में 9 बार ऐसा हो चुका है. पिछले साल तो जयपुर में सांप्रदायिक तनाव की वजह से तो मोबाइल के साथ ब्रॉडबैंड सर्विस भी बंद कर दी गई थी. लेकिन हर बार काम फंसने की यही वजह बताने पर आउटसोर्स कराने वाली कंपनियों को लगता है कि काम न पूरा होने की वजह से इंटरनेट सस्पेंड होने का बहाना बनाया जा रहा है.
इंटरनेट के बिन काहे की स्मार्ट सिटी
जयपुर राजस्थान की राजधानी है, उसे स्मार्ट सिटी का दर्जा भी मिला है. राज्य सरकार इसे बड़ा आईटी और स्टार्टअप हब बनाने के दावे करती रहती है, लेकिन उन्हीं अफसरों को क्या ये नहीं मालूम कि उन्होंने कभी बगैर इंटरनेट वाले आईटी और स्टार्टअप हब के बारे में सुना है?
लगता है कि सरकार में फैसला लेने वालों को नहीं मालूम है कि इंटरनेट बंद करना, मतलब पूरा बिजनेस ठप कर देना, सिर्फ लोकल ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर.
इंटरनेट का लाइफ पर कितना असर है जरा अंदाजा लगाइए. इंटरनेट नहीं तो:
- ओला बंद
- उबर बंद
- स्विगी बंद
- जोमेटो बंद
- रेलवे टिकट बंद
- हवाई टिकट बंद
- बैंक ट्रांजेक्शन भी बंद.
लेकिन फिर भी सरकार समझने को तैयार नहीं है.
3 साल में 26 बार
बात-बात पर इंटरनेट शटडाउन ऐसा लगता है कि राजस्थान सरकार को इंटरनेट बंद करने का बहाना चाहिए. जम्मू-कश्मीर के बाद राजस्थान दूसरा राज्य है, जहां तीन सालों में सबसे ज्यादा बार इंटरनेट बंद किया गया.
जम्मू-कश्मीर में 92 बार ऐसा हुआ और राजस्थान में 26 बार. पूरे देश में अलग-अलग राज्यों और शहरों में इन सालों में 172 बार इंटरनेट बंद किया गया. इसी साल अब तक 7 महीनों में 9 बार मोबाइल इंटरनेट बंद किया जा चुका है.
लेकिन ताजा आरटीआई से पता चला है कि कई बार ऐसे इंटरनेट शटडाउन भी हुए हैं, जिनका कोई रिकॉर्ड ही नहीं है. जैसे अगस्त 2017 से 1 मई 2018 के बीच राजस्थान में 21 बार बिना बताए इंटरनेट बंद कर दिया गया. इनमें 12 बार तो इसी साल हो चुका है.
पूरे देश के लिहाज से आंकड़ों ने पिछले साल के 79 शटडाउन के रिकॉर्ड को पार कर लिया है. इस साल अब तक 80 बार इंटरनेट बंद हो चुका है, जबकि अभी 5 महीने बाकी हैं.
बिना लॉजिक का शटडाउन
इंटरनेट शटडाउन का बटन दबाने में राजस्थान सरकार को अजब मजा आता है. कॉन्स्टेबल की परीक्षा में नकल रोकने के लिए 14, 15 जुलाई को इंटरनेट बंद कर दिया. सांप्रदायिक तनाव भड़का तो इंटरनेट बंद कर दिया. टीचर्स के लिए एग्जाम हुआ, तो भी इंटरनेट स्विच ऑफ. मतलब सारे मर्ज की दवा एक इंटरनेट स्विच ऑफ.
जबकि नियमों में साफ साफ लिखा है कि इमरजेंसी में ही इंटरनेट सर्विस सस्पेंड की जाएं लेकिन यहां तो हर बात को इमरजेंसी मान लिया गया है. इसको लेकर नियम साफ नहीं हैं इसलिए सरकारें मनमाने तरीके से इसका इस्तेमाल कर रही हैं.
इंटरनेट शटहाउन, मतलब करोड़ों स्वाहा
इंटरनेट सर्विस बंद करना कंज्यूमर और कारोबारी, दोनों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है. इंटरनेट शटडाउन करना आर्थिक तौर पर बहुत बड़ा नुकसान करता है. रिसर्च कंपनी ब्रूकिंग की अक्टूबर 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 से 2016 के बीच एक साल में इंटरनेट शटडाउन से कारोबार को भारत को 96.8 करोड़ डॉलर यानी करीब 6500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. ब्रूकिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल स्तर में इंटरनेट शटडाउन से 2015-16 में 2.4 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.
इंटरनेट शटडाउन का किसे है अधिकार
केंद्र और राज्यों के गृह सचिव को ही इंटरनेट बंद करने के आदेश जारी करने का अधिकार है. हालांकि इमरजेंसी की हालात में गृह विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी शटडाउन का फैसला ले सकता है. तो क्या इतने बड़े अफसर इतना बड़ा फैसला करने से पहले कुछ सोचते ही नहीं.
किस-किस वजह से इंटरनेट शटडाउन हुआ
इसकी लंबी लिस्ट है. जैसे सवर्ण-दलित हिंसा, जिसकी वजह से यूपी और पंजाब के कई शहरों में इंटरनेट इस साल कई दिनों तक ठप रहा. भारत बंद, किसी भी तरह का आंदोलन, सांप्रदायिक हिंसा, परीक्षाएं, एक्सीडेंट मतलब थोड़ी सी आशंका और इंटरनेट बंद. रिकॉर्ड और बिना रिकॉर्ड के साल दर साल इंटरनेट सस्पेंड के आंकड़े परेशान करने वाले हैं.
- 2018 में 37 बार
- 2017 में 75 बार
- 2016 में 32 बार
खाने-पीने की तरह इंटरनेट भी लोगों के लिए लाइफ लाइन बन चुका है. इसलिए इंटरनेट बंद करने का जो फैसला अंतिम विकल्प के तौर पर चुना जाना चाहिए, उसे कानून और व्यवस्था बनाने के नाम पर सरकार सबसे पहले अपनाती है. अगर मनमाने के तरीके से इंटरनेट बंद करने के अधिकार का इस्तेमाल हुआ, तो बिजनेस और स्टार्टअप के पनपने की उम्मीद तो छोड़ ही दीजिए.
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