वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी पास हो गया है. विधेयक के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. महाराष्ट्र में एक आईपीएस अफसर ने इस विधेयक के पारित होने के विरोध में इस्तीफा दे दिया है. IPS अब्दुर रहमान ने बुधवार शाम इस विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया.
रहमान ने एक लेटर में लिखा है कि ये विधेयक संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और आर्टिकल 14, 15 और 25 का उल्लंघन करता है.
धर्म किसी को नागरिकता देने या उससे छीनने का आधार नहीं बन सकता. इस बिल के पीछे की मंशा देश को धर्म के आधार पर बांटने की है. इससे मुस्लिम समुदाय में डर फैल गया है. ये मुसलमानों को अपनी नागरिकता बचाने के लिए इस्लाम छोड़कर कोई और धर्म अपनाने को मजबूर करता है.अब्दुर रहमान
अब्दुर रहमान ने NRC पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने अपने लेटर में लिखा कि असम में 19 लाख लोग NRC लिस्ट से बाहर हैं और इससे दलित, आदिवासी और मुसलमानों को बहुत तकलीफ हुई है.
अगर NRC और नागरिकता विधेयक लागू हो गया तो गैर-मुस्लिम लोग बिना कागजात के भी भारतीय नागरिक बन जाएंगे. इससे मुसलमानों पर अपनी नागरिकता साबित करने का दबाव बनेगा. ये विधेयक भारत की बहुलवाद की विचारधारा के खिलाफ है. इसलिए मैं सिविल डिसओबेडिएंस में सर्विस से इस्तीफा दे रहा हूं.अब्दुर रहमान
नागरिकता विधेयक संसद से पास
नागरिकता संशोधन बिल 2019 लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी पास हो गया है. राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े हैं, जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े हैं.
सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल 2019 को लोकसभा में आसानी से पास करा लिया था. वहां इस बिल के पक्ष में 311, जबकि विरोध में 80 वोट पड़े थे.
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक 2019?
यह बिल सिटिजनशिप एक्ट, 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. इस एक्ट के तहत कोई भी ऐसा व्यक्ति भारतीय नागरिकता हासिल कर सकता है जो भारत में जन्मा हो या जिसके माता/पिता भारतीय हों या फिर वह एक तय समय के लिए भारत में रहा हो. एक्ट में नागरिकता देने के और भी प्रावधान हैं. हालांकि यह एक्ट अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने से रोकता है.
तय समय तक रहने वाले प्रावधान के तहत सिटिजनशिप एक्ट, 1955 के जरिए ऐसा व्यक्ति भारत की नागरिकता हासिल कर सकता है, जो पिछले 12 महीनों के दौरान भारत में रहा हो, साथ ही पिछले 14 सालों में कम से कम 11 साल भारत में रहा हो. नागरिकता संशोधन बिल 2019, 3 देशों से आए 6 धर्म के लोगों को इस प्रावधान में ढील देने की बात करता है.
इस ढील के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई (इन धर्मों के अवैध प्रवासी तक) के लिए 11 साल वाली शर्त 5 साल कर दी गई है.
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