“मैं आपको अपना बैंक अकाउंट दिखा सकता हूं, मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए सचमुच पैसे नहीं हैं. पार्टी के पास भी पैसे नहीं हैं.”
ये शब्द थे ‘आप’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के.
आम आदमी पार्टी गोवा के विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है. वहीं, पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने चुनाव लड़ने के लिए पैसे न होने की बात कह डाली है.
लेकिन अगर ‘आप’ को मिलने वाले चंदे से जुड़ी जानकारी देने वाली वेबसाइट की मानें तो केजरीवाल जी जब-जब ऐसा कुछ कहते हैं तो पार्टी फंड में इजाफा होने लगता है.
देखना चाहते हैं कैसे?
अगर आप अपनी याद्दाश्त पर थोड़ा जोर डालें तो 14 जुलाई, 2015 को अरविंद केजरीवाल ने ये कहा था.
सरकार बनने के बाद जितना पैसा था सब कुछ खत्म हो गया है. रोज के खर्चे भी नहीं चल पा रहे हैं. 10 रुपये ही दीजिए. पर दीजिए जरूर. तभी हम ईमानदार राजनीति कर पाएंगे.
अब देखिए केजरीवाल की मांग का असर
इन आंकड़ों में साफ है कि 9 जुलाई से लेकर 13 जुलाई तक ‘आप’ को रोजाना मिलने वाला चंदा हजारों में रहा. लेकिन केजरीवाल के चंदे की मांग करते ही ये चंदा लाखों में पहुंच गया.
केजरीवाल की पॉपुलैरिटी का ‘आप’ को फायदा
पीएम मोदी से लेकर गांधी परिवार और अंबानी-अडानी के खिलाफ बयानबाजी करने वाले अरविंद केजरीवाल को इस बयानबाजी का आर्थिक फायदा मिलता है.
देखिए इन तारीखों को जब-जब केजरीवाल खबरों में प्रमुखता से रहे.
‘आप’ की फेमस घोषणाओं की बात करें तो दिल्ली में नशाबंदी पर सख्त रुख और वाई-फाई पर राज्य सरकार ने कुछ खास कदम नहीं उठाए हैं. लेकिन इन घोषणाओं ने पार्टी फंड में जरूर भारी इजाफा किया है.
केजरीवाल सरकार इसके लिए जवाबदेह है कि पार्टी फंड की 7 सबसे बड़े चंदे वाले दिन और खबरों में सीएम केजरीवाल का रहना सिर्फ एक इत्तफाक है या आप सरकार की ये सोची-समझी रणनीति है.
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