"मेरी बेटी बहुत परेशान है, फोन पर वो हमसे कह रही है कि पापा घर बुला लो. मैं भारत सरकार और प्रधानमंत्री से निवेदन करता हूं कि मेरी बेटी को वापस बुलाया जाए."
यह अपील मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के टीकमगढ़ जिले के रहने वाले एक पिता की है, जिनकी बेटी इजरायल (Israel) में पढ़ाई करने गई थी, और अचानक शुरू हुए युद्ध के बीच वहां फंस गई है.
इसके साथ ही मेरठ में एक आईआईटियन (IITian) का परिवार भी युद्ध के बीच इजरायल में फंस गया है. इन परिवारों को वतन लौटने के लिए फ्लाइट वापस शुरू होने का इंतजार है.
'इसी महीने खत्म होने वाली थी डिग्री'
राजेन्द्र सिरोठिया मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले में कुंडेश्वर धाम में रहते हैं. उनकी छोटी बेटी स्वाति सिरोठिया साल 2020 में इजरायल गई थी. स्वाति वहां हिब्रू यूनिवर्सिटी से एग्रीकल्चर में एमएससी (MSc) कर रही है. स्वाति की 3 साल की डिग्री इसी महीने खत्म होने वाली थी, लेकिन युद्ध छिड़ गया, जिससे वह वहां पर फंस गई है.
स्वाति अपने पिता से कह रही है कि उसे वापस देश बुला लिया जाए. पिता का आरोप है कि भारत सरकार ने अभी तक युद्ध में फंसे लोगों को वापस बुलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. जबकि बाकी देश अपने नागरिकों को वहां से निकाल रहे हैं.
पिता ने बताया कि इजरायल में जहां स्वाति फंसी है वहां खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं है. बच्चे अपनी जान बचाने के लिए बंकरों में छिपे है. स्वाति ने बातचीत के दौरान उन्हें बताया, "अन्य देशों के स्टूडेंट्स को उनकी सरकारों ने हेलीकॉप्टर से वापस बुला लिया मगर भारत सरकार ने अभी तक कोई पहल नहीं की है."
राजेन्द्र सिरोठिया ने कलेक्ट्रेट में जाकर देश के पीएम मोदी के नाम अपनी बेटी को वापस लाने के लिए आवेदन कलेक्टर को सौंपा है.
मेरठ का आईआईटियन अपने परिवार समेत इजरायल में फंसा
युद्ध के बीच मेरठ का एक परिवार भी इजरायल फंसा है. इजरायल में पोस्ट डॉयरेक्टेट करने गए मेरठ के मोहित रंधावा परिवार समेत तेल अवीव शहर में फंसे हुए हैं. भारत के लिए उड़ानें रद्द होने से उनके परिजन उनके लिए चिंतित है. मोहित रंधावा तीन साल से इजरायल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं.
मेरठ के किठौर इलाके में सौलदा गांव के निवासी मोहित रंधावा की शादी 17 जून 2017 को जयदीप कौर से हुई थी. जयदीप के पिता सुरेन्द्र सिंह ढिल्लो बीजेपी नेता हैं और पेशे से कारोबारी हैं.
2020 में आईआईटी रूड़की से पीएचडी करने के बाद मोहित आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप लेकर इजरायल चले गए और वहां पोस्ट डॉयरेक्टेट की डिग्री के लिए तेल-अवीव के पास जुकरबर्ग वाटर एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने लगे. मोहित जल संसाधन विषय पर रिसर्च कर रहे हैं. साथ ही यूनिवर्सिटी में पढ़ाते भी हैं.
इजरायल में बसने के बाद मोहित ने अपनी पत्नी जयदीप कौर और 3 साल की बेटी को भी अपने पास बुला लिया. हमास के हमले के बाद से मोहित और जयदीप के परिवार उनके लिए बेहद चिंतित है.
शुरूआती हमले के बाद मोहित ने परिवार संग निकलने की कोशिश की लेकिन इजरायल ने युद्ध की घोषणा के साथ ही विमान सेवाएं बंद कर दी है. इससे उनके फिलहाल भारत लौटने की संभावना टल गयी है.
हमास जिस तरीके से इजरायल के अलग-अलग शहरों पर हमला कर रहा है उसे लेकर मोहित और जयदीप के परिवार बहुत चिंतित है. जयदीप के पिता सुरेन्द्र सिंह ढिल्लो कहते है कि हमें अपनी बेटी, दामाद और नवासी की बहुत चिंता हो रही है. हम चाहते है कि वह जल्द से जल्द भारत लौट आयें. जिस तरह भारत सरकार ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारतीयों को यूक्रेन से रेस्क्यू किया था, उम्मीद है कि भारत सरकार इजरायल में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऐसा अभियान फिर से चलायेगी. मोहित की चिंतित मां ने बताया,
"युद्ध चल रहा है और हम डरे हुए हैं. हमें अपने परिवार की चिंता है. बेटे और बहू से बात हुई है. उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही फ्लाइट शुरू होगी और वे लौट आएंगे. हम ईश्वर से उनकी कुशलता के लिए कामना कर रहे हैं."मोहित की मां
15 अक्टूबर के लिए एयर टिकट खरीदा, फ्लाइट चलने का इंतजार
मोहित रंधावा के पिता पेशे से किसान हैं. वह बताते हैं कि उनकी बेटे से बात हुई है. मोहित ने बताया कि वह सुरक्षित है. ज्यादातर हमले उस इलाके में हो रहे जो उनकी रिहाइश से 300 किलोमीटर दूर हैं. उम्मीद है कि वे जल्द लौटेंगे.
मेरठ और अमरोहा का प्रशासन और पुलिस भी इजरायल में फंसे भारतीयों पर नजर बनाये हुए है और उनके परिवारों के संपर्क में है.
मेरठ के एसपी देहात कमलेश बहादुर ने बताया, "हम परिवार के संपर्क में हैं. अभी इजरायल में उड़ानें बंद है. हमारी मोहित रंधावा से बात हुई है. उन्होंने 15 अक्टूबर के लिए एयर टिकट खरीदा है. अगर फ्लाइट शुरू होती है तो वह भारत आ सकते हैं. इसके अलावा किसी भी हालात के लिए हम उनसे संपर्क बनाये हुए हैं."
(इनपुट- अब्दुल वसीम अन्सारी,
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