इंडियन स्पेस रिसर्च सेंटर (ISRO) के वैज्ञानिक फिलहाल चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. इस बीच ISRO के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों सहित हजारों सीनियर स्टाफ मेंबर इंक्रीमेंट्स की कटौती का सामना कर रहे हैं.
दरअसल भारत सरकार के उपसचिव एम रामदास के हस्ताक्षर वाले एक मेमोरेंडम में कहा गया है कि 1 जुलाई, 2019 से SD, SE, SF और SG ग्रेड के वैज्ञानिकों/इंजीनियरों के दो अतिरिक्त इंक्रीमेंट्स मिलने बंद हो जाएंगे.
SEA प्रेसिडेंट ने ISRO चीफ को लिखा लेटर
इस मामले पर स्पेस इंजीनियर्स एसोसिएशन (SEA) प्रेसिडेंट ए. मणिरमन ने ISRO चेयरमैन के. सिवन को 8 जुलाई को एक लेटर लिखा था. इस लेटर में सिवन से अनुरोध किया गया था कि वह सरकार पर उसका फैसला वापस लेने के लिए दबाव बनाएं.
लेटर में मणिरमन ने कहा था कि इन इंक्रीमेंट्स को हटाने के पीछे छठे वेतन आयोग के तहत संशोधित भुगतान का हवाला दिया गया था, हालांकि वेतन आयोग ने खुद इन 1996 के इंक्रीमेंट्स को जारी रखने की सिफारिश की थी.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के आधार पर हाल ही में लागू किए गए इंक्रीमेंट की तुलना 1996 के इंक्रीमेंट्स से नहीं की जा सकती, क्योंकि 1996 के इंक्रीमेंट्स सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लागू किए गए थे.
सोशल मीडिया पर पूछे जा रहे कई सवाल
इस मामले पर सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. एक ट्विटर यूजर ने लिखा है, ''क्या यह हमारे असली हीरो ISRO वैज्ञानिकों के साथ क्रूर मजाक नहीं है?''
एक और ट्विटर यूजर ने लिखा है, ''ऐसा क्यों हो रहा है? ये दोहरा रवैया देश के लिए शर्मनाक है. एक तरफ हम कहते हैं कि हमें ISRO पर गर्व है, दूसरी तरफ उनके भुगतान में कटौती कर दी जाती है.''
न्यू इंडियन एक्सप्रेस को एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि संबंधित ज्ञापन के प्रभावी होने से स्टाफ को हर महीने औसतन 10000 रुपये कम मिल रहे हैं.
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