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जम्मू-कश्मीर: ITBP के जवान ने 3 साथियों पर की फायरिंग, फिर खुद को भी मार लिया

Jammu-Kashmir में पिछले 24 घंटों में यह दूसरी बड़ी घटना है जिसमें सेना के जवान ने अपने ही साथियों पर गोली चलाई है

Published
भारत
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जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के एक जवान ने शनिवार, 16 जुलाई को अपने तीन साथियों को गोली मारकर घायल कर दिया, और इसके बाद खुद को भी गोली मार ली, जिससे उसकी मौत हो गयी. NDTV की रिपोर्ट के अनुसार घटना के बाद जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं.

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गोलीबारी की यह घटना उधमपुर जिले के देविका घाट कम्युनिटी सेंटर में दोपहर करीब साढ़े तीन बजे हुई. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार ITBP के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि खुद को गोली मारने से पहले कांस्टेबल भूपेंद्र सिंह ने अपने सहयोगियों पर गोली चलाई, जिससे एक हेड कांस्टेबल और दो कांस्टेबल घायल हो गए.

रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी ने बताया कि घायलों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है और वे खतरे से बाहर हैं.

कांस्टेबल भूपेंद्र सिंह ITBP की 8वीं बटालियन से था और वर्तमान में सुरक्षा ड्यूटी के लिए जम्मू-कश्मीर में तैनात आईटीबीपी की दूसरी एडहॉक बटालियन की 'एफ' कंपनी में शामिल था.

जवान अपने ही साथियों को मार रहे गोली, 24 घंटे में यह दूसरी बड़ी घटना

जम्मू-कश्मीर में पिछले 24 घंटों में यह दूसरी बड़ी घटना है जिसमें सेना के जवान ने अपने ही साथियों पर गोली चलाई है. शुक्रवार, 15 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के पुंछ में ऐसी ही घटना में सेना के दो जवान शहीद हो गए और दो अन्य घायल हो गए.

घटना के दौरान एक जवान की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दूसरे ने इलाज के दौरान गोली लगने से दम तोड़ दिया. दो और जवानों का आर्मी हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है. अपने साथी सैनिकों पर गोलियां चलाने वाला सिपाही भी घायलों में शामिल है.
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भारतीय आर्मी के जवानों में बढ़ते डिप्रेशन की बानगी है खुद सरकार का आंकड़ा जिसके अनुसार 2019 से 2021 के बीच सशस्त्र बलों में फ्रेट्रिकाइड (आपस में गोलीबारी) की 25 घटनाएं हुईं और 2017 से 2019 तक तीन वर्षों में 345 आत्महत्याएं हुईं. 2016 से 2020 तक चार वर्षों में लगभग 47,000 जवानों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वॉलंटरी रिटायरमेंट) की मांग की या इस्तीफा दे दिया.

उच्च तनाव का सबसे महत्वपूर्ण कारण लंबे समय तक ड्यूटी करना है, जो कभी-कभी दिन में लगभग 15 से 16 घंटे तक बढ़ जाता है. तनाव का एक अन्य कारण ड्यूटी के विस्तारित घंटों के कारण पर्याप्त और निरंतर नींद की कमी है. कई अध्ययनों से पता चला है कि लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर - यहां तक ​​कि एक रात के लिए भी - नींद की कमी का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

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